बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने एडवोकेट संजीव नासियार को उनके पद से हटा दिया है। वे आम आदमी पार्टी के विधि प्रोकोष्ठ के प्रमुख थे। उन्हें दिल्ली बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन पद से हटा दिया गया है। उन्होंने BCI की कार्रवाई के बाद कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बार काउंसिल को उनके खिलाफ भड़काया है, इस पूरी साजिश में यही पार्टी शामिल है।
संजीव नासियार कानून की डिग्री शक के दायरे में हैं। संजीव नासियार ने साल 1988 में देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय, इंदौर से एलएलबी (ऑनर्स) की डिग्री ली थी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सचिव से कहा है कि वे CBI इस प्रकरण की जांच करे। संजीव नासियार ने कहा है कि वे किसी भी जांच से डरते नहीं हैं और हर जांच के लिए तैयार हैं। उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है।
किस आधार पर हुआ है एक्शन?
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने बताया है कि 2024 में ही दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर एक सब कमेटी बनाई गई थी। समिति को उनकी डिग्रियों से संबंधित कई अनियमितताएं मिलीं हैं। PMB गुजराती आर्ट्स एंड लॉ कॉलेज इंदौर से जब संजीव ने डिग्री हासिल की तब उस संस्थान के पास एलएलबी ऑनर्स कराने की मान्यता ही नहीं मिली थी। यह पाठ्यक्रम बार काउंसिल ने साल 2008 में शुरू कराया था। कैसे उन्होंने 2 साल पहले ही डिग्री हासिल कर ली है।
क्या है BCI की दलील?
बार काउंसिल ने यह बताया है कि शैक्षणिक प्रमाणपत्रों से साफ है कि उनमें छेड़छाड़ की गई है। हैंडराइटिंग से लेकर जिस स्याही तक का इस्तेमाल हुआ है, वह संदेह के घेरे में है। BCI ने एडवोकेट एक्ट 1961 के हवाले से उन्हें पद से हटा दिया है। जब तक CBI जांच पूरी नहीं हो जाती है, वे पद पर नहीं रहेंगे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
दिल्ली हाई कोर्ट ने अगस्त में ही संजीव नासियार की डिग्री की जांच करने वाली एक याचिका खारिज की थी। जस्टिस राजीव शकढेर ने विश्वविद्यालय की डिग्री पर भरोसा जताया था। कोर्ट ने कहा था कि इसे कहने का कोई अधिकार नहीं है कि डिग्री फर्जी तरीके से हासिल की गई है।