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आंध्र प्रदेश के बाद 'टू-चाइल्ड पॉलिसी' को खत्म कर सकता है तेलंगाना

दक्षिण के राज्यों को उनकी घटती जनसंख्या दर को लेकर चिंता है। आंध्र प्रदेश के बाद तेलंगाना भी 'टू-चाइल्ड पॉलिसी' को खत्म कर सकता है।

telanaga chief minister ravanth reddy : Photo: Telangana government official website

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी । फोटोः तेलंगाना सरकार आधिकारिक वेबसाइट

देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बहस लगातार जारी है। उधर कुछ हफ्तों पहले आंध्र प्रदेश राज्य में लागू 'टू-चाइल्ड पॉलिसी' यानी कि 'दो बच्चे वाली नीति' में बदलाव कर दिया गया। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि तेलंगाना भी ऐसा कर सकता है। आंध्र प्रदेश में लागू दो बच्चे वाली नीति के तहत जिस व्यक्ति के पास दो से ज्यादा बच्चे हैं वह स्थानीय निकायों का चुनाव नहीं लड़ सकता था। अब आंध्र प्रदेश ने इसे खत्म कर दिया है।

 

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सरकारी सूत्रों ने बताया कि तेलंगाना में सरकारी अधिकारी कुछ समय में कैबिनेट के सामने 'टू-चाइल्ड पॉलिसी' से संबंधित फाइल को रख सकते हैं। इसके लिए तेलंगाना को पंचायत राज अधिनियम 2018 में परिवर्तन करना पड़ेगा।

 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उस अधिकारी का कहना था कि राज्य की जनसंख्या धीरे-धीरे बूढ़ी हो रही है इसलिए कुछ परिवार नियोजन संबंधी नीतियों में बदलाव करने का वक्त आ गया है ताकि 2047 तक राज्य को उचित संख्या में कार्यशील जनसंख्या मिल सके।

 

नायडू ने कहा था- कम से कम दो बच्चे पैदा करें

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दो बच्चों वाली नीति को खत्म करने के दौरान कहा था कि जिन लोगों के पास ज्यादा बच्चे होंगे सरकार उन्हें इन्सेंटिव देगी। इस तरह की नीतियां यूरोपियन देशों में देखने को मिलती हैं। चंद्रबाबू नायडू के इस बयान पर चर्चा शुरू हो गई थी। आंध्र प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने इसका स्वागत किया था कुछ लोगों को यह बयान काफी अजीब भी लगा था। नायडू ने कहा था कि महिलाओं को कम से कम दो बच्चे पैदा करने पर विचार करना चाहिए ताकि 2047 के बाद हमारी जनसंख्या बूढ़ी न हो।

डिलिमिटेशन से है जुड़ा

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह कदम डिलिमिटेशन को भी ध्यान में रखते हुए किए जाने की संभावना है। दक्षिण के राज्यों ने जनसंख्या नीति को काफी अच्छे से लागू किया है और इसलिए उन्हें लगता है कि डिलिमिटेशन के दौरान उनकी लोकसभा की सीटें घट सकती हैं, जिससे उनकी राजनीतिक महत्ता कम हो जाएगी।

 

यह पहली बार नहीं है जब दक्षिण भारत के राजनेताओं ने इस प्रकार की चिंता जताई है। इसके पहले बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटीआर ने भी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि जनसंख्या नीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए दक्षिण के राज्यों को सजा नहीं मिलनी चाहिए।

 

मोहन भागवत ने भी कही थी ज्यादा बच्चों की बात

नागपुर में एक इवेंट के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी जनसंख्या के घटने पर चिंता जताते हुए तीन बच्चे पैदा करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि देश की जनसंख्या नीति के मुताबिक जनसंख्या प्रतिस्थापन की दर 2।1 होनी चाहिए, इसका मतलब है कि हमारे दो से ज्यादा बच्चे होने चाहिए यानी कि तीन बच्चे होने चाहिए। उन्होंने कहा था कि अगर जनसंख्या वृद्धि दर 2।1 के नीचे गिरती है तो हम खुद ही खत्म हो जाएंगे।

 

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