संसद का शीतकालीन सत्र, 2024 शुक्रवार, 20 दिसंबर को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। यह सत्र सोमवार 25 नवंबर, 2024 को शुरू हुआ था और 26 दिनों तक चले सत्र में लोकसभा की 20 बैठकें और राज्यसभा की 19 बैठकें हुईं। लेकिन इस साल के शीतकालीन सत्र में संसद के अंदर और बाहर रोजना विरोध-प्रदर्शन हुए। अंत में पक्ष-विपक्ष ने एक दूसरे पर हाथापाई के आरोप लगाए।
हाथापाई के आरोपों के बाद बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर मारपीट के आरोप लगाए, जिसके बाद लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई।
10 सालों में सबसे कम हुआ काम
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च और लोकसभा सचिवालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस बार के शीतकालीन सत्र में पिछले 10 सालों में सबसे कम काम हुआ है। यानी इसका सीधा सा मतलब है कि इस बार का शीतकालीन सत्र हंगामें की भेंट चढ़ गया।
लोकसभा में महज 52 फीसदी काम
इस बार शीतकालीन सत्र में लोकसभा में महज 52 फीसदी (मात्र 62 घंटे) काम हुआ। यह साल 2023 के मानसून सत्र के बाद सबसे कम काम करने वाला सत्र रहा। वहीं, साल 2014 के बाद से आठ सत्र ऐसे रहे जिसमें कम काम हुआ था। इसके अलावा मोदी 3.0 में बजट सत्र में शानदार काम हुआ था। पिछले बजट सत्र में 135 फीसदी काम हुआ। इसमें 115 घंटे से ज्यादा काम किया गया।
पिछले सत्र में 93 घंटे काम हुआ था
इसके साथ ही इस बार के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा की कार्रवाई में भी उत्पादकता में गिरावट देखी गई है। संसद के उच्च सदन ने महज 44 घंटे काम हुआ है। यह 39 फीसदी ही है। जबकि पिछले सत्र में 93 घंटे काम हुआ था, जो निर्धारित समय का 112 फीसदी है। 2023 के बजट सत्र के बाद से राज्यसभा में इतना कम काम कभी नहीं हुआ।
इस बार अगर आंकड़ों पर ध्यान दें तो लोकसभा में विधायी कार्यों पर सिर्फ 23 घंटे और राज्यसभा में नौ घंटे काम हुआ। जबकि इस सत्र का ज़्यादातर समय दोनों सदनों में संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा में खर्च किए गए।
हर मिनट 2.50 लाख रुपये खर्च
बता दें कि संसद की कार्यवाही पर हर मिनट करीब 2.50 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। यह पैसे भारत की जनता के टैक्स के होते हैं। इस तरह से 20 दिन संसद के शीतकालीन सत्र में कामकाज ना होने का अनुमानित नुकसान 84 करोड़ है।