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PM मुद्रा योजना में महिला खाते ज्यादा, लोन कम, वजह क्या है?

पीएम मुद्रा योजना की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। योजना का मकसद उद्यमियों को संस्थागत लोन देना है। इस योजना के 71 फीसदी खाते महिला लाभार्थियों के हैं।

Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। (तस्वीर-PTI)

भारत में अब लोग पेशेवर नौकरियों के साथ-साथ बिजनेस को भी प्राथमिकता देने लगे हैं। बिजनेस शुरू करने से पहले धन की जरूरत होती है। अब हर किसी के पास इतना धन नहीं होता कि वह उद्योग शुरू कर सके। नरेंद्र मोदी सरकार ने नए उद्यमियों को आगे बढ़ाने के लिए साल 2015 में एक पहल की थी। पहल का नाम, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)  है। दिलचस्प बात यह है कि इस योजना के अंतर्गत 71.03 फीसदी खाते महिला उद्यमियों के हैं। क्या महिला उद्यमियों को इसका लाभ भी मिल पाया?

लोकसभा में तिरुवनंतपुरम से सांसद डॉ. शशि थरूर ने मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से महिला खाताधारकों से जुड़े 4 सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि क्या यह सच है कि पीएम मुद्रा योजना के तहत कुल खातों में से 71.03 फीसदी खाते महिला उद्यमियों के पास थे? 

वित्त वर्ष 2022-2023 के बीच पीएम मुद्रा योजना की सालाना रिपोर्ट कहती है कि उन्हें सिर्फ 48 फीसदी की लोन मिला। ऐसा क्यों है और असमनता दूर करने के लिए सरकार क्या कर रही है?

71 फीसदी खाते महिलाओं के, लोन सिर्फ 48 फीसदी क्यों? 
शशि थरूर के जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि यह सच है कि वित्तीय वर्ष 2022 से 2023 के दौरान PMMY के अंतर्गत कुल खातों की संख्या में 71.03 फीसदी खाते महिलाओं के ही हैं। 71.03 फीसदी खाते होने के बाद भी महिलाओं को ऋण 48 फीसदी मिला है। 

खातों में और वास्तविक संख्या में अंतर की वजह यह है कि महिलाओं के लिए स्वीकृत लोन का करीब 99 फीसदी हिस्सा शिशु और किशोर श्रेणी के अंतर्गत दिया गया है। महिलाओं के दिए गए लोन का औसत आकार कम है। केवल 11.66 फीसदी महिला उद्यमियों ने तरुण श्रेणी के तहत वित्तीय मदद ली है। 

क्या है योजना का मकसद?
भारत में लोन लेने की कागजी प्रक्रियाएं बेहद जटिल हैं। स्कीम का मकसद उद्यमियों को आसान लोन देना है, जिससे वे अपने बिजनेस को गति दे सकें। ज्यादातर महिला उद्यमियों ने जो कर्ज लिया था, वे अपनी क्रेडिट हिस्ट्री को बरकरार रख रही हैं। जिन्होंने ने शिशु श्रेणी के तहत कर्ज लिया था, वे धीरे-धीरे किशोर श्रेणी में अपडेट हो गए, किशोर श्रेणी के कर्जदार तरुण श्रेणी में आ गए। महिलाओं की क्रेडिट हिस्ट्री बनी, जिससे उन्हें लाभ पहुंचा। 

मुद्रा योजना के पास तरुण श्रेणी में 11.66 खाते ही क्यों? 
शशि थरूर ने सवाल किया कि योजना में महिलाओं के पास केवल 11.66 प्रतिशत तरुण खाते हैं। इस श्रेणी में 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का कर्ज मिलता है। उन्होंने सवाल किया कि महिला खाता धारकों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार क्या कर रही है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया है कि सरकार प्रचार अभियान चला रही है। मुद्रा योजना की आवेदन प्रक्रिया सरल बनाई जा रही है। लोन गारंटी योजना, लोन संपर्क और वित्तीय साक्षरता अभियान चलाया जा रहा है। अब तरुण प्लस श्रेणी के तहत 20 लाख रुपये तक का लोन मुहैया कराया जाएगा।

आंकड़े क्या हैं? 
महिला उद्यमियों को लोन मिलने की दर धीरे-धीरे बेहतर हुई है। साल 2022-2023 के बीच 11.66 फीसदी महिलाओं को कर्ज मिला था। साल 2022-2023 में 11.66 फीसदी और साल 2023-24 में 12.82 फीसदी कर्ज मिला। साल 2024-2025 के बीच यह आंकड़ा 12.74 फीसदी हो गया है।


 

क्या है पीएम मुद्रा योजना? एक नजर से समझिए 
इस योजना का मकसद उद्यमियों को आसान, बिना झंझट के कर्ज मुहैया कराना है। कृषि, व्यापार, सर्विस सेक्टर, छोटे और लघु उद्योगों के तहत लोगों को कर्ज दिया जाता है। लोने देने वाली संस्थाएं इस योजना के तहत 20 लाख रुपये तक कर्ज मुहैया कराती हैं। इस योजना के तहत 4 श्रेणियों के अंतर्गत लोन दिया जाता है।

शिशु श्रेणी 50000 रुपये
किशोर श्रेणी 50 हजार से 5 लाख रुपये
तरुण श्रेणी 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये
तरुण प्लस श्रेणी 10 लाख से 20 लाख रुपये

 

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