भारतीय सेना ने सोमवार को एक खास कार्यक्रम में तुर्की निर्मित 'यीहा' ड्रोन को दिखाया। यह ड्रोन पाकिस्तान ने मई महीने में भारत पर हमले के लिए इस्तेमाल किया था, लेकिन भारतीय सेना ने इसे 10 मई को मार गिराया था। यह कार्यक्रम 54वें विजय दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित किया गया। विजय दिवस हर साल 16 दिसंबर को मनाया जाता है, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की बड़ी जीत की याद दिलाता है।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की मौजूदगी में इस ड्रोन को फिर से जोड़कर प्रदर्शित किया गया। यह 'कामिकाजे' प्रकार का ड्रोन है, जिसे 'सुसाइड ड्रोन' भी कहते हैं। ऐसे ड्रोन टारगेट पर पहुंचकर खुद विस्फोट कर देते हैं।
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जालंधर था निशाना
सेना के अधिकारियों के अनुसार, यह यीहा ड्रोन 10 मई को करीब 2000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहा था। इसे लाहौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लॉन्च किया गया था और इसका निशाना जालंधर था। ड्रोन में 10 किलो विस्फोटक भरा हुआ था। यह दूर से नियंत्रित होता है और टक्कर मारते ही फटने के लिए बनाया गया है।
इसके पंखों की चौड़ाई करीब दो मीटर है और यह 170 सीसी के दो-स्ट्रोक इंजन से चलता है। कामिकाजे ड्रोन टारगेट एरिया के ऊपर मंडराते रहते हैं, सही मौका देखकर हमला करते हैं।
पहलगाम के बाद हुआ शुरू
यह सब अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ। 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें कई लोग मारे गए। जवाब में भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया। इसमें पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए।
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इसके बाद चार दिनों तक दोनों देशों के बीच तीखी झड़पें हुईं। पाकिस्तान ने सीजफायर की मांग की, तब लड़ाई रुकी। इस संघर्ष में पाकिस्तान ने कई यीहा जैसे एक बार इस्तेमाल होने वाले हमलावर ड्रोन भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर भेजे, लेकिन भारतीय सेना ने लगभग सभी पाकिस्तानी ड्रोनों को मार गिराया।