महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं और महायुति ने 230 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। महायुति में शामिल तीनों पार्टियों बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन बीजेपी का प्रदर्शन बहुत ही अच्छा रहा। बीजेपी ने कुल 149 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसमें से उसने 132 सीटें जीत लीं।
अब बारी है मुख्यमंत्री चुनने की। चुनाव पूर्व तो शिंदे के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया था, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। ऐसे में अजित पवार की पार्टी एनसीपी देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जोर दे रही है। अजित पवार पहले भी संकेत दे चुके हैं कि इस शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के मुकाबले वह उन्हें अपनी पसंद के तौर पर पसंद कर रही है।
अजित पवार और फडणवीस के बीच हैं अच्छे रिश्ते
अजित पवार और फडणवीस के बीच अच्छे समीकरण हैं, जो 2019 में तब से हैं जब दोनों ने मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि एनसीपी नेता के पिछली बार सरकार में शामिल होने के बाद उनका साथ सिर्फ 80 घंटे तक के लिए ही रहा था।
एनसीपी को लगता है कि अगर फडणवीस सीएम बनते हैं तो उसकी स्थिति सरकार में शिवसेना के बराबर होगी। चूंकि शिवसेना भी महाराष्ट्र की पार्टी है इसलिए अजित यह कभी नहीं चाहेंगे कि शिवसेना का कद उनकी पार्टी से बड़ा हो। 132 सीटों के साथ, भाजपा इन दोनों पार्टियों से बहुत आगे है। शिवसेना को इस बार के विधानसभा चुनाव में 57 सीटें और एनसीपी को 41 सीटें मिली हैं, जो कि बीजेपी की तुलना में काफी कम है।
अजित पवार का आत्मविश्वास इस बार काफी ज्यादा है क्योंकि उनकी पार्टी का परफॉर्मेंसे शरद पवार की पार्टी से बहुत बेहतर रहा है।
शिंदे और अजित दोनों तैयार?
सोमवार को लिया गया फैसला दिखाता है कि शिंदे और अजित दोनों फडणवीस के डिप्टी के तौर पर काम करने के लिए तैयार हैं। लेकिन अगर शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया जाता तो ज़ाहिरी तौर पर एनसीपी का कद शिवसेना की तुलना में थोड़ा कम हो जाता।
फडणवीस के नाम पर सहमति
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एनसीपी नेताओं ने कहा कि इंटनल मीटिंग में फडणवीस के नाम पर सहमति बनी है। वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा: “कोई कारण नहीं है कि हमें सीएम के रूप में फडणवीस का विरोध करना चाहिए।”
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एनसीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी ने भाजपा नेतृत्व को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि फडणवीस सीएम के रूप में उसकी “पहली पसंद” हैं।
किसके पास होगा कौन सा मंत्रालय
एनसीपी को इस बात से भी दिक्कत रही होगी कि महायुति सरकार में बीजेपी और शिवसेना की विचारधारा काफी कुछ एक जैसी है या कहें दोनों वैचारिक रूप से एक-दूसरे के काफी करीब हैं। इसलिए इस बात की उम्मीद है कि दोनों मिलकर हिंदुत्व के नैरेटिव को काफी हद तक दुगुनी गति से आगे लेकर जाएंगे। जबकि एनसीपी की नजर मुस्लिम वोटों पर भी रहती है।
अब दूसरी चिंता की बात यह है कि सरकार में कौन सा पोर्टफोलियो किसे मिलेगा। शिवसेना और एनसीपी दोनों चाहेंगे कि उन्हें ज्यादा बेहतर मंत्रालय मिल सकें, फिर कुछ अच्छे मंत्रालय बीजेपी भी अपने पास रखना चाहेगी। लेकिन दोनों की कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा बड़े मंत्रालय दोनों अपने पास रख सकें। यह बात भी दीगर है कि महाराष्ट्र में अधितक 43 मंत्री ही हो सकते हैं।