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असम: 3 गोगोई अलायंस फेल! BJP की वापसी; पंचायत चुनाव के नतीजे को समझिए

असम के पंचायत चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त वापसी की है। बीजेपी ने 66 फीसदी आंचलिक सीटों पर कब्जा कर लिया है। जिला परिषद की भी ज्यादातर सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया है।

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सीएम हिमंता बिस्वा सरमा। (Photo Credit: X@BJP4Assam)

असम में पिछले साल लोकसभा चुनाव में जब जोरहाट में कांग्रेस ने वापसी की थी तो लग रहा था कि उसने गांवों में बीजेपी को कमजोर कर दिया है। मगर एक साल बाद ही पंचायत चुनावों में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। जोरहाट में कांग्रेस महज 3 आंचलिक सीट ही जीत सकी है, जबकि बीजेपी ने यहां 73 सीटें जीत लीं। जोरहाट में जिला परिषद में भी कांग्रेस के हाथ खाली रहे हैं। यहां सभी 16 सीटें बीजेपी और उसकी सहयोगी असम गण परिषद (AGP) ने जीत ली।

पंचायत चुनाव की ABCD

  • वोटिंगः असम में पंचायत चुनावों के लिए 2 मई और 7 मई को वोट डाले गए थे। इस बार कुल 1.80 करोड़ वोटर्स थे। पंचायत चुनाव में कुल 74.71% वोटिंग हुई थी।
  • चुनाव कहां-कहां?: परिसीमन के बाद यह पहले पंचायत चुनाव थे। इनमें 2,192 आंचलिक पंचायत सीटें थीं। 397 सीटें जिला परिषद की थीं। इनके अलावा 21,920 सीटें ग्राम पंचायत के लिए थीं। आंचलिक और जिला परिषद में ही पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ी थीं।
  • नतीजे क्या रहे?: बीजेपी ने आंचलिक पंचायत की 1,261 सीटें जीती हैं। उसकी सहयोगी असम गण परिषद को 184 सीटें मिली हैं। कांग्रेस महज 481 सीटें ही जीत सकी है। वहीं, बीजेपी ने जिला परिषद की 274 और कांग्रेस ने 72 सीटें जीती हैं।

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कांग्रेस के लिए क्यों है झटका?

पंचायत चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हैं। ग्रामीण असम में NDA की हिस्सेदारी बढ़ गई है। 2018 में NDA ने 52% आंचलिक सीटें जीती थीं। 2025 में 66% सीटों पर कब्जा कर लिया है। दूसरी तरफ कांग्रेस की हिस्सेदारी 35% से घटकर 22% पर आ गई है। कांग्रेस ने 2018 में 772 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार वह 481 सीटों पर सिमट गई है। 


जिला परिषद में भी कांग्रेस को नुकसान हुआ है। जिला परिषद की 397 सीटों में से बीजेपी 274 सीटें जीत ली हैं। 2018 में बीजेपी ने 212 सीटें जीती थीं। वहीं, कांग्रेस ने 2018 में जिला परिषद की 147 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार कांग्रेस 72 सीटें ही जीत सकी है। 

'थ्री गोगोई अलायंस' हुआ फेल

असम में पंचायत चुनाव से पहले अघोषित रूप से 'थ्री गोगोई अलायंस' बना था। इसमें कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, रैजोर दल के अखिल गोगोई और असम जातीय परिषद के लुरिंज्योति गोगोई शामिल थे। 


'थ्री गोगोई अलायंस' में शामिल गौरव गोगोई जहां एक बड़ा राजनीतिक चेहरा हैं, वहीं अखिल गोगोई जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं, जबकि लुरिंज्योति गोगोई असमिया और अहोम-जातीय भाषाई का कॉम्बिनेशन हैं। यह बीजेपी के खिलाफ बना था। माना जा रहा था कि 'थ्री गोगोई अलायंस' बीजेपी की मुसीबत बढ़ा सकता है।


हालांकि, चुनाव नतीजों पर इसका कोई खास असर नहं दिखा। इस अघोषित अलायंस की उम्मीदें वहां भी टूट गईं, जहां इसे सबसे मजबूत माना जा रहा था। अखिल गोगोई के गृह जिले और अहोम पहचान की राजनीति के केंद्र शिवसागर में बीजेपी ने 73 आंचलिक सीटें जीत लीं, जबकि रैजोर दल को सिर्फ 1 सीट मिली। माना जा रहा है कि बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने से असमिया और अहोम वोट बंट गए। 


गौरव गोगोई की जोरहाट लोकसभा में तीन जिले- जोरहाट, शिवसागर और चराईदेव आते हैं। इन तीनों जिलों में कांग्रेस जिला परिषद की एक भी सीट नहीं जीत सकी।

 

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बीजेपी का दबदबा

पंचायत चुनाव में बीजेपी ने अपर असम में भी अपना दबदबा बनाए रखा। अपर असर के कई जिलों में बीजेपी का कांग्रेस से सीधा मुकाबला था, जिसका फायदा भी पार्टी को मिला।


बीजेपी की इस जीत के पीछे कई बड़े कारण हैं। हालांकि, इनमें से दो प्रमुख हैं। बीजेपी ने गरीब परिवारों के लिए अरुनोदोई योजना शुरू की है, जिसके तहत हर महीने 1,400 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा 1 लाख सरकारी पदों पर भी भर्ती की गई है।


बीजेपी ने नौगांव, मोरीगांव और होजाई जैसे मुस्लिम बहुल जिलों में शानदार प्रदर्शन किया है। लोअर असम के 10 में से 9 जिले अब मुस्लिम बहुल हैं। यहां की जिला परिषद की 130 में से 82 सीटें बीजेपी ने जीत ली हैं। कछार, श्रीभूमि और हैलाकांडी जैसे जिलों की 49 जिला परिषद सीटों में से 32 पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है।

 

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2026 के लिए 100+ सीटों का टारगेट

पंचायत चुनाव के नतीजों को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। असम में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। पंचायत चुनाव में बीजेपी को जैसी कामयाबी मिली है, उससे उसका आत्मविश्वास और बढ़ गया है।


असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने 126 विधानसभा सीटों में से 100 सीटें जीतने का दावा किया है। पिछली बार बीजेपी ने 64 सीटें जीती थीं। 2026 में सरमा की बड़ी परीक्षा होगी, क्योंकि यह उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद पहला चुनाव होगा। पिछले चुनाव बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल के चेहरे पर चुनाव लड़ा था।  


जोरहाट में बीजेपी ने जिस तरह से वापसी की है, उसके बाद अब यहां से सीएम हिमंता के चुनाव लड़ने की अटकलें भी शुरू हो गई हैं। पंचायत चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि बीजेपी अब ग्रामीण इलाकों में भी मजबूत हो रही है। ग्रामीणों के सहारे क्या बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में आ पाएगी? या विपक्ष कोई रणनीति बनाकर बीजेपी को मात दे पाएगी? यह 2026 में साफ हो जाएगा।

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