बिहार: 2 दशक, हाशिए पर पार्टी, कांग्रेस ने क्या सीखा?
बिहार में साल 2015 के बाद हुए चुनावों में कांग्रेस ने अपना जनाधार खोया है। ऐसा साल-दर-साल होता गया है। कांग्रेस जनता दल यूनाइटेड से बेहतर प्रतिनिधित्व मांगती है लेकिन ऐसा हुआ है है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी। (Photo Credit: PTI)
बिहार में कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। कांग्रेस साल 2020 से सबक भी लेना चाहती है। पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, 19 पर जीत मिली थी। राष्ट्रीय जनता दल, सबसे बड़ी पार्टी बनी, 75 सीटें आईं तो ऐसे में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए, कम सीटों पर बात बन सकती है। कांग्रेस नेता, ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का जोर दे रहे हैं। अलग बात है कि राजनीति हलके में यह भी चर्चा है कि बिहार में कांग्रेस राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के भरोसे नहीं, तेजस्वी भरोसे है।
इंडिया गठबंधन ने एक के बाद एक 4 बैठकें की। उम्मीद जताई जा रही है कि अगर विकासशील इंसान पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल सीट शेयरिंग के लिए किसी फॉर्मूले पर राजी हो गए तो जल्द ही उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया जाएगा। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कांग्रेस और आरजेडी पिछली बार से कम सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं, वहीं सीपीआई माले को ज्यादा सीटें दी जा सकती हैं क्योंकि कम सीटों के बाद भी उनका प्रदर्शन बेहतर रहा।
कांग्रेस, साल-दर साल चुनावों में कहां चूकती रही, क्यों कभी आरजेडी के साए से बाहर नहीं निकल पाई, आइए जानते हैं-
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2010 में कांग्रेस किस हाल में थी?
2010 तक देश में यूपीए की सरकार थी, फिर भी कांग्रेस राज्य में बिखर गई थी। 2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने करीब 8.37 प्रतिशत वोट हासिल किया, 243 सीटों में सिर्फ 4 सीटों पर जीत पाई। कांग्रेस ने 2005 में 10 सीटों पर जीत दर्ज किया था लेकिन 2010 में आंकड़े बिगड़ गए थे। कांग्रेस ने 71 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन जीत सिर्फ 4 सीटों पर मिली। विपक्ष बिखर गया था। नीतीश कुमार का चार्म अपने चरम पर था। तब आरजेडी, लोजपा और कांग्रेस ने गठबंधन किया था, यह गठबंधन बिखर गया था। जेडूयी ने 110 सीटें, बीजेपी ने 89 सीटें हासिल की थीं।
साल 2015 में कांग्रेस का हाल क्या रहा?
- बिहार की 243 विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने कुल 27 सीटों पर जीत हासिल की थी।
- कांग्रेस ने गठबंधन के तहत 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था, नतीजे कांग्रेस के लिए ठीक रहे थे।
- कांग्रेस गठबंधन के अहम दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 80 सीटों पर जीत हासिल की थी।
- बीजेपी सिर्फ 53 सीटें हासिल कर पाई थी। जेडीयू के पास 71 सीटें थीं।
- नीतीश कुमार का बीजेपी से मोहभंग हुआ था, जेडीयू के वह साथ गए थे और तेजस्वी यादव पहली बार डिप्टी सीएम बने थे।
- कांग्रेस का वोटर शेयर, 6.8 प्रतिशत था।
वजह: आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस का गठबंधन एकसाथ था। नीतीश कुमार और तेजस्वी के चेहरे पर वोट पड़े। कांग्रेस का भी वोट शेयर बढ़ गया। कांग्रेस को नीतीश कुमार के साथ आने से सीधा लाभ मिला था।
तेजस्वी यादव और राहुल गांधी। (Photo Credit: PTI)
2019 के लोकसभा चुनाव में क्या हाल था?
2019 के बिहार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर था। सिर्फ 7.7% वोट मिले थे और केवल किशनगंज लोकसभा सीट पर जीत मिली थी। महागठबंधन के तहत कांग्रेस ने 9 सीटों पर दावेदारी ठोकी लेकिन NDA के 39 सीटें जीत लीं। राहुल-प्रियंका के प्रचार के बावजूद वोट शेयर और सीटें नहीं बढ़ीं।
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2020 में कांग्रेस का हाल क्या रहा?
साल 2020 के विधानसभा चुनावों में सब बदल गया। कांग्रेस का वोर शेयर बढ़ा लेकिन सीटें कम हो गईं। कांग्रेस महज 19 सीटों पर जीत हासिल कर पाई। कांग्रेस का वोट शेयर, 9.6 रहा। वहीं सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने 23.5 प्रतिशत वोट के साथ 75 सीटें हासिल की और सबसे बड़ी पार्टी बनी। नीतीश कुमार लौट कर बीजेपी के साथ हो गए थे। कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, सिर्फ 19 सीटें मिलीं।
- वजह: आरजेडी और कांग्रेस से नीतीश कुमार अलग हो चुके थे। बीजेपी और जेडीयू ने पूरे चुनाव प्रचार में 'सुशासन' पर फोकस किया। दोनों पार्टियों ने 'जंगलराज' का डर दिखाया और नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ छवि पेश की। कांग्रेस, बीजेपी से नैरेटिव की लड़ाई में कमजोर पड़ गई थी। 2020 में एक तरफ जहां सभी राजनीतिक पार्टियों ने पिछड़े और दलित उम्मीदवारों पर जोर दिया, कांग्रेस यहां चूक कर गई। कांग्रेस की हार की एक वजह यह भी बताई जाती है।
कांग्रेस चूकी क्यों, चुनावी रणनीति क्या रही?
- कांग्रेस को जो सीटें मिलीं, उन पर NDA का दबदबा था
- 70 में 45 सीटें कांग्रेस के लिए कमजोर साबित हुईं
- कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर सवाल उठे
- पैराशूट उम्मीदवारों को टिकट दिया गया
- राहुल गांधी ने सिर्फ 8 रैलियां कीं, पीएम मोदी ने 12
- तीसरे चरण में न तो प्रियंका गांधी पहुंची, न ही सोनिया
- सीमांचल की जो सीटें कांग्रेस को मिलीं, वहां AIMIM की जीत हो गई
- कांग्रेस, बिहार में आरजेडी की पिछलग्गू पार्टी बनी रह गई
कांग्रेस का जोर किस पर रहा?
- कांग्रेस ने 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था
- बेरोजगारी भत्ता और बिजली बिल में छूट देने का वादा किया था
- कृषि कानूनों को रद्द करने पर जोर दिया था
- राजीव गांधी कृषि न्याय योजना शुरू करने की बात कही गई
- कांग्रेस ने मोदी सरकार को राफेल डील पर घेरने की कोशिश की

2024 के लोकसभा चुनाव में हाल क्या रहा?
भारतीय जनता पार्टी एक दशक तक सत्ता में रही। जाहिर सी है बात है कि सत्ता विरोधी लहर भी पनपी। नतीजे फिर भी बिहार में यूपी की तुलना में बीजेपी के लिए बेहतर रहे। बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में जेडीयू 12, बीजेपी 12, एलजेपी(रामविलास) 5, आरजेडी 4, कांग्रेस 3, सीपीआई (एमएल) (एल) 2, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा 1 और 1 निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली। कांग्रेस ने आरजेडी पर दबाव बनाकर 9 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन जीत सिर्फ 3 पाई।
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इस बार कांग्रेस का जोर किस पर है?
- भ्रष्टाचार: कांग्रेस के पास 2020 की तुलना में 2025 में मुद्दे ज्यादा हैं। नीतीश कुमार का यह कार्यकाल, कई तरफ से घिर गया है। जो आरोप एनडीए गठबंधन के दल, कांग्रेस पर लगाते रहे हैं, वही आरोप अब कांग्रेस पर भी लग रहे हैं। कांग्रेस परिवारवाद पर एनडीए गठबंधन को घेर रही है, भ्रष्टाचार, रोजगार, खराब पुल और स्वास्थ्य व्यवस्था पर घेर रही है।
- जल्लाद राज: कांग्रेस हर दिन सोशल मीडिया पर 'कानून के राज' को लेकर हमला बोल रही है, 'जल्लाद राज' को लेकर हमला बोल रही है। कांग्रेस को बिहार को असुरक्षित राज्य बता रही है। कांग्रेस का जोर इस विधानसभा चुनाव में 'कमजोर प्रधानमंत्री' के नेरेटिव को भी सेट करना है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच भड़के तनाव को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता वाले बयान को लेकर कांग्रेस लगातार बीजेपी को घेर रही है।
- जमाई आयोग: कांग्रेस सामाजिक न्याय संवाद रैली कर रही है। कांग्रेस कन्हैया के सहारे आगे बढ़ रही है। एनडीए सरकार, पर कांग्रेस 'संपत्ति बांट योजना' को लेकर घेर रही है, जिसमें आरोप लगा रही है कि अब लोगों को मनमाने तरीके से जमीन तक बांटी जा रही है। कांग्रेस महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, बिहार की लचर कानून व्यवस्था पर भी बीजेपी-जेडीयू को घेरने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस और आरजेडी दोनों मिलकर नीतीश कुमार सरकार को 'जमाई आयोग' पर घेर रही हैं। दावा किया जा रहा है नीतीश सरकार, मनचाहे पदों पर नेताओं के बच्चों और दामादों को नियुक्तियां दे रही है।
- संविधान: कांग्रेस हर रैली में संविधान का जिक्र कर रही है। जातिगत जनगणना पर केंद्र की मंजूरी को अपनी जीत बता रही है। कांग्रेस, एनडीए सरकार पर संविधान की कद्र न करने का आरोप लगा रही है।
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