दिल्ली कैसे जीतेगी कांग्रेस? न्याय यात्रा से दूर रहे राहुल-प्रियंका
राजनीति
• NEW DELHI 07 Dec 2024, (अपडेटेड 07 Dec 2024, 1:56 PM IST)
दिल्ली में लगातार दो चुनाव से एक भी सीट न जीतने वाली कांग्रेस का एटीट्यूड अभी भी वैसा ही है। पार्टी की न्याय यात्रा में राहुल और प्रियंका गांधी ही शामिल नहीं हुए।
कांग्रेस नेताओं के साथ देवेंद्र यादव, Photo: Delhi Congress
कांग्रेस पार्टी दिल्ली के दो विधानसभा चुनावों से एक भी सीट नहीं जीत पाई है। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने के बावजूद दिल्ली में उसका खाता नहीं खुला। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव पिछले एक महीने से संघर्ष करते दिख रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर 'दिल्ली न्याय यात्रा' निकाली और हर विधानसभा सीट पर गए। हालांकि, ऐसा लगता है कि वह इस लड़ाई में अकेले हैं और कांग्रेस नेतृत्व को इसकी विशेष चिंता नहीं है। AAP और कांग्रेस दोनों की ओर से कहा जा रहा है कि कोई गठबंधन होने की संभावना नहीं है और दोनों पार्टियां अलग-अलग ही चुनाव लडेंगी।
लोकसभा चुनाव के दौरान ही देवेंद्र यादव को पहले अंतरिम अध्यक्ष और फिर दिल्ली कांग्रेस का पूर्ण कालिक अध्यक्ष बनाया गया था। देवेंद्र यादव ने अध्यक्ष बनने के साथ ही आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल का विरोध करना शुरू किया। वह साफ कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सिर्फ बहाने बनाए हैं और अपनी असफलता के लिए वह कभी उपराज्यपाल को दोषी ठहराते हैं तो कभी किसी और को दोष देते हैं। मतलब अपनी ओर से देवेंद्र यादव ने हर संभव कोशिश की लेकिन उन्हें अपनी ही पार्टी के नेतृत्व का उतना साथ नहीं मिला, जिसकी वह उम्मीद कर रहे थे।
क्या है दिल्ली न्याय यात्रा?
8 नवंबर को राजघाट से शुरू हुई यह यात्रा एक महीने में पूरी दिल्ली में गई। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव की अगुवाई में लगभग हर विधानसभा में पदयात्रा हुई। यात्रा की शुरुआत में कहा गया था कि आगे चलकर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेता भी इसमें शामिल होंगे। यह कहा गया कि प्रियंका गांधी वायनाड के चुनाव के बाद इस यात्रा में शामिल होने आएंगी। हालांकि, ऐसा कभी हुआ ही नहीं। इस यात्रा के आखिरी दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग जरूर नजर आए लेकिन इस पूरी यात्रा के दौरान कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस यात्रा से दूर रहा।
जुड़ रहे हाथ, बदलेंगे हालात ✋🏻
— Delhi Youth Congress (@DelhiPYC) December 6, 2024
कांग्रेस महासचिव, जनप्रिय नेता श्री @SachinPilot जी का आज न्याय-यात्रा में शामिल होने पर ज़ोरदार स्वागत किया गया।
आदरणीय पायलट जी ने सभी दिल्ली वासियों से न्याय की इस मुहिम में कांग्रेस का साथ देने की अपील की।
इस दौरान दिल्ली प्रभारी श्री… pic.twitter.com/1l7gfDGn40
रागिनी नायक, सुखविंदर सिंह सुक्खू, डॉ. उदित राज और सचिन पायलट जैसे नेता आए लेकिन ऐसा लगता है कि ये नेता देवेंद्र यादव के निजी संबंधों के चलते यात्रा में शामिल हुए। यह रोचक बात है कि संसद सत्र के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सरीखे दिल्ली में ही मौजूद हैं। इसी दौरान राहुल गांधी ने संभल जाने की कोशिश की लेकिन वे अपनी ही पार्टी की इस यात्रा से दूर रहे। फिलहाल कांग्रेस की सरकार हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में है लेकिन सिर्फ हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इस यात्रा के आखिरी दिनों में इसमें शामिल हुए।
न्योता सबको, आया कोई नहीं
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने पार्टी के लोकसभा सांसदों, विधानसभा सांसदों, मुख्यमंत्रियों, राष्ट्रीय पदाधिकारियों और यहां तक कि राष्ट्रीय प्रवक्ताओं के साथ-साथ दिल्ली के बड़े नेताओं को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया था। इसके बावजूद ये नेता इस यात्रा में बहुत कम ही नजर आए। फिलहाल यह कहा जा रहा है कि 9 दिसंबर को तालकटोरा स्टेडियम में एक कार्यक्रम होगा जिसमें पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व शामिल हो सकता है। हालांकि, अगर यह होता भी है तो यह देर कर देने वाली बात जैसा ही होगा।
8 नवंबर से शुरू हुई इस यात्रा के हर दिन की गतिविधि पर हमने नजर रखी। देवेंद्र यादव ने हर विधानसभा के अहम मुद्दों को उठाने की कोशिश की, हर वर्ग के लोगों से मुलाकात की, उनकी समस्याएं सुनी और समझी और भीड़ भी खूब जुटाई। यात्रा की शुरुआत हर दिन तिरंगा झंडा फहराने के साथ होती और शाम तक यह रोडशो में बदल जाती। दिल्ली न्याय यात्रा, दिल्ली कांग्रेस और खुद देवेंद्र यादव के ट्विटर हैंडल पर शेयर की जाने वाली तस्वीरें में राहुल गांधी की पुरानी तस्वीर दिखती लेकिन यह तस्वीर नई होने के इंतजार में ही रह गई।
समय बीतता रहा, अकेले चलते रहे देवेंद्र
यात्रा में स्थानीय स्तर के नेताओं, टिकट के कुछ दावेदारों और देवेंद्र यादव के करीबियों के अलावा बड़े नेता नदारद ही रहे। 13 नवंबर को इस यात्रा में पूर्व सांसद संदीप दीक्षित शामिल हुए। 14 नवंबर को यात्रा का पहला चरण पूरा हुआ लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कोई नहीं आया। ज्यादातर नेता महाराष्ट्र, झारखंड और वायनाड के चुनाव में व्यस्त रहे।
15 नवंबर को यह यात्रा जब गोकुलपुरी पहुंची तब राज्यसभा सांसद और कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला इस यात्रा में शामिल हुए। 19 नवंबर को इस यात्रा में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अल्का लांबा शामिल हुईं। इसी दिन राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक भी यात्रा का हिस्सा बनीं। 23 नवंबर को चुनाव के नतीजे आ गए। प्रियंका गांधी लोकसभा सांसद चुनी गईं लेकिन अभी भी कांग्रेस नेतृत्व का रुख दिल्ली की ओर नहीं हुआ।
श्री देवेंद्र यादव के नेतृत्व में दिल्ली न्याय यात्रा को दिल्ली की जनता सकारात्मक परिवर्तन के वाहन की तरह देख रही है।#DelhiNyayYatra #CongressWaliDelhi #दिल्ली_न्याय_यात्रा #दिल्ली_का_नायक@devendrayadvinc @INCDelhi pic.twitter.com/oWAX9bVoXz
— Delhi Youth Congress (@DelhiPYC) December 5, 2024
भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौड़ 23 वंबर को ही यात्रा में शामिल हुईं। 24 नवंबर को कांग्रेस ने काजी निजामुद्दीन को दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी बनाया। उनके साथ मीनाक्षी नटराजन को स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष, इमरान मसूद और प्रदीप नरवाल को भी स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य बनाया गया। देवेंद्र यादव ने इसका दिल खोलकर स्वागत किया। 26 नवंबर को तालकटोरा स्टेडिय में संविधान रक्षक अभियान का आयोजन हुआ। राहुल गांधी इसमें शामिल हुए लेकिन यात्रा में अभी तक नहीं आए। 27 नवंबर को इस यात्रा में काजी निजामुद्दीन शरीक हुए। इसी दिन अजय माकन भी यात्रा में शामिल हुए। 29 को अमरिंदर सिंह राजा वारिंग यात्रा का हिस्सा बने।
यह भी देखा गया कि दिल्ली स्तर के ज्यादातर कांग्रेसी नेता इस यात्रा का हिस्सा तभी बने जब यात्रा उनके संभावित क्षेत्र से होकर गुजरी। कई नेताओं ने टिकट की दावेदारी के लिए अपना शक्ति प्रदर्शन भी किया लेकिन यही नेता दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में देवेंद्र यादव के साथ नहीं चले। 5 दिसंबर को यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय भी यात्रा में शामिल हुए।
यह सब हैरान करने वाला इसलिए है कि इसी कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने हरियाणा में हार के बाद स्वीकार किया था कि एक-दो नेताओं के हाथ में सबकुछ दे दिया गया। इसी कांग्रेस ने कमोबेश ऐसा ही रवैया महाराष्ट्र में रखा और उसे हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली में चुनाव से पहले एकदम ढुलमुल रवैया, स्थानीय कार्यकर्ताओं को अलग-थलग छोड़ देने और प्रदेश अध्यक्ष का ही साथ न देने से यह अभी से स्पष्ट होने लगा है कि कांग्रेस का हाल फिर से वैसा ही होगा।
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