आंबेडकर को लेकर अमित शाह के बयान का मुद्दा अभी थमा भी नहीं था कि कांग्रेस फिर से बीजेपी को घेरने की तैयारी में है। अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए हैं।
उनका आरोप है कि चयन प्रक्रिया के दौरान आपसी परामर्श और सहमति की प्रक्रिया को दरकिनार किया गया और यह पूरी तरह से पूर्व निर्धारित थी।
सौंपा असहमति पत्र
कांग्रेस ने ये आरोप पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा हस्ताक्षरित एक असहमति नोट में लगाए हैं, जो एनएचआरसी अध्यक्ष के लिए नामों को शॉर्टलिस्ट करने और राष्ट्रपति को सिफारिश करने वाली चयन समिति को सौंपा गया है। सोमवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी रामसुब्रमण्यम को एनएचआरसी का नया अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा की।
सुझाए थे कौन से नाम
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जस्टिस रोहिंग्टन फली नरीमन व जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर समहति जताई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वी रामसुब्रमण्यम को आयोग का अध्यक्ष चुना गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष चुनते समय क्षेत्र, धर्म और जाति के संतुलन का ध्यान नहीं रखा गया। उनका कहना था कि इसका ध्यान रखा जाना आवश्यक था।
कांग्रेस के नोट में कहा गया है कि जाति और समुदाय का संतुलन 'यह सुनिश्चित करता है कि एनएचआरसी समावेशी दृष्टिकोण के साथ काम करे, जो समाज के सभी वर्गों के अनुभवों के प्रति संवेदनशील हो।'
इसके मुताबिक, 'इस महत्वपूर्ण सिद्धांत की उपेक्षा करके, समिति इस प्रतिष्ठित संस्था में जनता के विश्वास को खत्म करने का जोखिम उठा रही है।'
नोट में आगे कहा गया कि, 'समिति द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया मूल रूप से दोषपूर्ण थी।।। विचार-विमर्श को बढ़ावा देने और सामूहिक निर्णय सुनिश्चित करने के बजाय, समिति ने नामों को अंतिम रूप देने के लिए संख्याबल के बहुमत का प्रयोग किया और बैठक के दौरान उठाई गई वैध चिंताओं और दृष्टिकोणों की अनदेखी की।'
चयन कमेटी में कौन होते हैं
मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है। इस कमेटी में लोकसभाध्यक्ष, गृहमंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता और राज्यसभा के उपसभापति होते हैं।
मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति कमेटी की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस या रिटायर्ड जज की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
कौन चुने गए सदस्य
राष्ट्रपति ने जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम को अध्यक्ष चुना और प्रियांक कानूनगो व जस्टिस विद्युत रंजन सारंगी को सदस्य के रूप में नियुक्त किया। प्रियांक कानूनगो इसके पहले बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।
5 साल का होता है कार्यकाल
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 सालों का होता है। यह एक केंद्रीय मानवाधिकार संस्था है जिसमें एक अध्यक्ष और 5 सदस्य होते हैं। आयोग में महिला सदस्य का होना अनिवार्य है।