नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को एक बार फिर पुराने जम्मू और कश्मीर राज्य की याद आई है। उन्होंने शुक्रवार को एक जनसभा में कहा कि अब केंद्र सरकार जल्द से जल्द जम्मू और कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल करे। उनका कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश के कई ऐसे मुद्दे हैं, जो बिना पूर्ण राज्य घोषित हुए पूरे नहीं किए जा सकते हैं।
फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू कश्मीर की सत्तारूढ़ पार्टी है। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए, क्योंकि इससे हमारी ज्यादातर मुश्किलें हल हो जाएंगी। हमें यह मांग करनी चाहिए कि हमारी स्थिति में सुधार हो और हम ब्यूरोक्रेसी के प्रभाव से आजाद हों।'
क्यों पुराना कश्मीर चाहते हैं फारूक अब्दुल्ला?
केंद्र शासित प्रदेश में, केंद्रीय शक्तियां, कई बार लोकतांत्रिक सरकार पर हावी होती हैं। कई ऐसे फैसले होते हैं, जिन्हें उपराज्यपाल, अपने विवेक से रोक सकता है। कई फैसलों पर उसकी मंजूरी अनिवार्य होती है। फारूक अब्दुल्ला का मानना है कि इस व्यवस्था से कश्मीर का विकास नहीं हो सकता है, अनसुलझे मुद्दे नहीं सुलझ पाएंगे। वे केंद्र शासित प्रदेश की शासन व्यवस्था को अफसरशाही बता रहे हैं।
ब्यूरोक्रेसी को नौकरशाही या अफसरशाही भी कहते हैं। ये एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें निर्णय जनता के चुने गए नेता नहीं, बल्कि अधिकारी लेते हैं। फारूक अब्दुल्ला, इस शासन व्यवस्था के आलोचक हैं। उनका कहना है कि उपराज्यपाल का शासन नहीं, चुनी गई सरकार का शासन होना चाहिए।
इस उम्मीद में पूर्ण राज्य की मांग कर रहे फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'पहले अधिकारी लोगों की बात नहीं सुनते थे। लेकिन आज, लोग मंत्रियों की ओर आशा भरी निगाहों से देखते हैं, उनसे उम्मीद करते हैं कि वे उनकी चिंताओं को दूर करेंगे और सही फैसले लेंगे।'
'ठेकेदारी' पर भड़के हैं फारूक अब्दुल्ला
केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल की राजनीतिक ताकत पर उन्होंने कहा, 'स्थानीय ठेके बाहरी लोगों को सौंपे जा रहे हैं, जैसे कि क्षेत्र के लोग अकुशल या अक्षम हैं। यह राज्य आपका है। आप इसके असली मालिक हैं। इसलिए खड़े हो जाइए और अपने अधिकारों हासिल कीजिए, तभी आपके मुद्दे हल होंगे।' फारूक अब्दुल्ला ने ये बातें गुरु नानक देव की 555वीं जयंती के अवसर पर चांद नगर में एक गुरुद्वारे में कही। उन्होंने वहां मत्था टेका और कहा कि उनकी सरकार में सिख समुदाय की अहम भूमिका होगी, जहां वे अपने मुद्दे निडर होकर उठा सकेंगे।