विधानसभा चुनावों की एक खासियत होती है कि हर साल कुछ नए दल उभरते हैं। कोई अधिकारी किसी पार्टी का हाथ थाम लेता है तो कोई फिल्म कलाकार अपनी ही पार्टी बना लेता है। तमिलनाडु तो खैर फिल्मी कलाकारों की राजनीति के लिए मशहूर ही रहा है। कमल हासन और रजनीकांत के असफल प्रयासों के बाद अगला कदम बढ़ाया है युवा थलपति विजय ने। विजय ने तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव से लगभग डेढ़ साल पहले अपनी राजनीतिक रैली के जरिए प्रदेश की जनता को नया संदेश देने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
तमिलगा वेट्ट्री कजमग यानी TVK नाम से नई पार्टी बनाने वाले विजय ने रविवार को विल्लुपुरम में अपनी पहली बड़ी रैली की। एक अनुमान के मुताबिक, इस रैली में लगभग ढाई से 3 लाख लोग शामिल हुए। भीड़ के हिसाब से तो इस रैली को सफल माना जा रहा है लेकिन अब सबकी नजरें विजय पर हैं कि वह किस अजेंडे पर वोट मांगेंगे और किन मुद्दों के आधार पर लोगों को खुद से जोड़ेंगे। खैर, TVK ने अपना एजेंडा स्पष्ट करने की कोशिश इस रैली में उसी वक्त कर दी जब पार्टी के कोषाध्यक्ष वेंकटरमन ने पार्टी के सदस्यों को शपथ दिलाई। विजय ने एक बटन दबाकर पार्टी का झंडा 100 फीट ऊंचे पोल पर लहराया तो समर्थकों के जोश से माहौल बन गया।
'मैं बच्चा हूं लेकिन...'
इस रैली में अपने भाषण के दौरान विजय ने कहा, 'मैं राजनीति में बच्चा हूं, ये मैं मानता हूं लेकिन ये बच्चा सांप का सामना कर रहा है और उस सांप को अपनी मुट्टी में दबाने को तैयार है।' विजय ने अपने बयान से ही स्पष्ट कर दिया है कि वह आगामी चुनाव में एम के स्टालिन की अगुवाई वाली सत्ताधारी डीएमके को चुनौती देने जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाए कि एक स्वार्थी परिवार द्रविड़ मॉडल के नाम पर तमिलनाडु को लूट रहा है। विजय ने अपनी अलग पहचान बनाने और विपक्षी आवाज बनने की कोशिश में बीजेपी को भी जमकर आड़े हाथ लिया।
रोचक बात यह रही कि विजय ने जिन नेताओं का नाम लिया उनमें डॉ. भीमराव आंबेडकर, तमिलनाडु के पूर्व सीएम के कामराज और द्रविड़ नेता ईवी रामासामी पेरियार शामिल थे। हालांकि, विजय ने साफ किया कि वह पेरियार की ईश्वर विरोधी बातों को नहीं अपनाने वाले हैं। यानी धर्म को लेकर विजय यह समझ रहे हैं कि उन्हें इसे साथ लेकर चलना होगा। हां, उन्होंने भाषा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कहा है कि तमिनलाडु के लिए दो भाषा वाली नीति लागू होनी चाहिए।
भले ही विजय ने बीजेपी पर निशाना साधा हो लेकिन यह स्पष्ट है कि वह बड़ी चुनौती डीएमके के लिए ही बनने की कोशिश करेंगे। कुल मिलाकर थलपति विजय की कोशिश उस गैप को भरने की है जो पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी के झगड़े के चलते AIADMK के कमजोर होने से बन गया है।