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'मतभेद करके यहां बैठा रहू सकता हूं क्या?', CM योगी ने खुलकर दिया जवाब

UP के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ अपने कथित मतभदों की बात को खारिज करते हुए कहा है कि बोलने को लोग कुछ भी बोलते हैं और वह उनका मुंह नहीं बंद कर सकते।

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योगी आदित्यनाथ, File Photo: PTI

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मतभेद और खुद के प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर रोचक जवाब दिए हैं। उनका कहना है कि अगर केंद्रीय नेतृत्व से उनका मतभेद होता तो वह यहां नहीं बैठे होते। खुद के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं के सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राजनीति उनका फुल टाइम जॉब नहीं हैं और असल में वह एक योगी ही हैं। योगी आदित्यनाथ ने तमिल और अन्य भाषाओं को लेकर जारी विवाद पर भी अपनी टिप्पणी दी। उन्होंने कहा कि जो लोग अपने राजनीतिक हित के लिए यह भाषा विवाद कर रहे हैं, उससे उनका राजनीतिक उल्लू तो सीधा हो सकता है लेकिन इससे युवाओं को रोजगार नहीं मिलने वाला है।

 

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में अपनी लोकप्रियता और पीएम बनने के सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'मैं उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं। उत्तर प्रदेश की जनता के लिए पार्टी ने मुझे यहां लगाया है। राजनीति मेरे लिए एक फुल टाइम जॉब नहीं है। वह ठीक है कि इस समय हम यहां काम कर रहे हैं लेकिन मैं हूं तो वास्तव में एक योगी। हम लोग जब तक हैं, काम कर रहे हैं। हर चीज की एक समयसीमा होगी।' बता दें कि बीजेपी के भविष्य को लेकर जब चर्चा होती है तब जिन नेताओं की चर्चा होती है उनमें योगी आदित्यनाथ प्रमुख हैं। पिछले कुछ सालों में उनकी लोकप्रियता में भी तेजी से इजाफा हुआ है और अब कई राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए भी उन्हें बुलाया जाता है।

 

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मतभदों पर CM योगी ने दिया जवाब

 

पार्टी के केंद्रीय नेताओं के साथ मतभेद होने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'मतभेद होने की बात ही कहां से आ जाती है? मैं यहां पर पार्टी के कारण ही बैठा हूं न? क्या केंद्रीय नेताओं के साथ मतभेद करके मैं यहां बैठा रह सकता हूं? टिकट का वितरण पार्टी का संसदीय बोर्ड करता है। संसदीय बोर्ड में सबके विषय में चर्चा होती है, बाकायदा स्क्रीनिंग के माध्यम से वहां बात पहुंचती है। बोलने के लिए कोई कुछ भी बोल सकता है। आप किसी का मुंह थोड़े बंद कर सकते हैं।'

 

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उन्होंने आगे कहा, 'मैं तो एक योगी हूं। मेरा किसी से समीकरण क्यों खराब होगा। प्रधानमंत्री जी हमारे नेता हैं। हम अपने राष्ट्रीय अधक्ष्य के आदेश का पालन करते हैं। अगर हम अफवाहों में पड़ेंगे तो कुछ नहीं कर पाएंगे। अफवाहों की परवाह किए बगैर हम अपनी राह चल रहे हैं।'

 

मुस्लिमों से भेदभाव के आरोपों पर CM योगी का जवाब

 

मुस्लिमों को साथ लाने के सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'मोदी जी ने 2014 में सत्ता में आने पर सबका साथ और सबके विकास की बात की थी। उसी के अनुसार, विकास भी और लोक कल्याण की योजनाएं भी लागू कीं। किसी के साथ भेदभाव हुआ? जाति, मत, मजहब, क्षेत्र, भाषा के आधार पर किसी के साथ कभी भेदभाव नहीं हुआ। 4 करोड़ लोगों को आवास मिले, 50 करोड़ लोगों को हर साल आयुष्मान भारत योजना में स्वास्थ्य बीमा का कवर मिल रहा है। 80 करोड़ लोग राशन की सुविधा का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। 12 करोड़ घरों में शौचालय बन गए, 10 करोड़ घरों में उज्ज्वला योजना के कनेक्शन चले गए। करोड़ों घरों में बिजली के निशुल्क कनेक्शन बांटे गए। क्या किसी से जाति, मत, मजहब पूछा गया। इसमें लाभान्वित होने वाली सबसे ज्यादा संख्या मुसलमानों की है। भेदभाव कहां हुआ है?'

 

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भाषा विवाद पर विपक्षियों पर बरसे

तमिलनाडु से उठे भाषा विवाद के बारे में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं, नौकरियां सृजित की जा रही हैं। जो लोग भाषा को लेकर विवाद पैदा कर रहे हैं, वे अपने राजनीतिक हितों को पूरा कर सकते हैं लेकिन एक तरह से युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों पर प्रहार कर रहे हैं। वे कोई भी हों, वे यही कर रहे हैं। यही कारण है कि ये राज्य धीरे-धीरे पिछड़ते जा रहे हैं। उनके पास कोई अन्य मुद्दा नहीं है और वे अपने राजनीतिक हितों को हासिल करने के लिए भावनाओं को भड़का रहे हैं।'

 

उन्होंने आगे कहा, 'तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, बंगाली या मराठी जैसी भाषाएं राष्ट्रीय एकता की आधारशिला बन सकती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार अपने छात्रों को तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, बंगाली और मराठी जैसी भाषाएं सिखा रही है। क्या इससे उत्तर प्रदेश किसी भी मायने में छोटा हो गया? क्या यह उत्तर प्रदेश को कमतर करके दिखाता है? सभी का मानना ​​है कि हिंदी का सम्मान होना चाहिए लेकिन भारत ने त्रिभाषा फार्मूला अपनाया है। यह त्रिभाषा फार्मूला सुनिश्चित करता है कि क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान सम्मान मिले। हर भाषा की अपनी विशेषता होती है जो राष्ट्रीय एकता की आधारशिला बनती है।'

 

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