महाराष्ट्र में 23 नवंबर को मतगणना के बाद से ही अभी तक मुख्यमंत्री के चेहरे पर फैसला नहीं हो पाया है। इस चुनाव में महायुति को 230 सीटों के साथ भारी जीत मिली थी। खास बात यह है कि इसमें बीजेपी का स्ट्राइक रेट काफी अच्छा था। बीजेपी ने कुल 149 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से 132 सीटें जीत लीं। यह स्ट्राइक रेट लगभग 80 फीसदी का है।
हालांकि, महायुति गठबंधन की दो और पार्टियां एनसीपी और शिवसेना ने भी क्रमशः 41 और 57 सीटें जीतीं, लेकिन अब मुख्यमंत्री के पद को लेकर महायुति में खींचतान शुरू हो गई है। अभी तक इस बात पर निर्णय नहीं हो पा रहा था कि आखिर कौन सीएम बनेगा और किस तारीख को शपथ ग्रहण समारोह होगा?
लेकिन अब इस सस्पेंस से पर्दा उठता हुआ प्रतीत हो रहा है। क्योंकि, बीजेपी के महाराष्ट के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार बयान दिया है कि 5 तारीख को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि समारोह मुंबई के आज़ाद मैदान में होगा और इसमें प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल होंगे। हालांकि, अभी तक उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि सीएम पद के लिए किसको शपथ दिलाई जाएगी।
कई दिनों से मची है हलचल
मतगणना के बाद से ही महाराष्ट्र के सीएम पद के लिए लगातार हलचल मची हुई है। माना जा रहा है कि बीजेपी चाहती है कि देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया जाए, क्योंकि उसके पास सबसे ज्यादा सीटें हैं। पहले इस बात के भी संकेत मिल चुके हैं कि एनसीपी प्रमुख अजित पवार भी चाहते हैं कि देवेद्र फडणवीस को ही सीएम बनाया जाए।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवसेना और एनसीपी दोनों राज्य आधारित पार्टियां हैं और ऐसे में एनसीपी कभी नहीं चाहेगी कि शिवसेना को उसके बजाय तरजीह मिले।
शिंदे ने कहा था- दिक्कत नहीं
इसके पहले शिंदे ने भी कहा था कि बीजेपी के सीएम से उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। उसके बाद इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि देवेंद्र फडणवीस के लिए सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बाद में दिल्ली में इसे लेकर मीटिंग हुई, पर शिंदे वहां से निकलकर अपने गांव चले गए और सीएम के नाम पर सहमति नहीं बन पाई।
MVA में भी टूट की स्थिति
उधर चुनाव बाद हुई महा विकास अघाड़ी की करारी हार के बाद विपक्ष में भी टूट की स्थिति बनी हुई है। महा विकास अघाड़ी में शिवसेना (यूबीटी) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। उसे कुल 20 सीटों पर जीत हासिल हुई है। हार के बाद उद्धव ठाकरे ने आगामी निकाय चुनावों में अकेले ही उतरने का फैसला किया है। उधर शरद पवार ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि वे भी मंथन करेंगे कि कहां गड़बड़ हुई और एनसीपी (एसपी) पार्टी को फिर से खड़ा करने की कोशिश करेंगे।