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क्या महायुति में सबकुछ ठीक नहीं? क्यों हो रही ऐसी चर्चाएं

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में अनबन की अटकलें तेज हो गई हैं। कुछ नेताओं की सिक्योरिटी कम करने या वापस लेने से भी तनाव बढ़ गया है।

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देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार। (File Photo Credit: PTI)

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए अभी तीन महीने ही हुए हैं और सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में अंदरूनी कलह की खबरें सामने आने लगी हैं। बताया जा रहा है कि महायुति में अनबन की वजह कुछ सांसदों की Y-सिक्योरिटी को वापस लेना या कम करना है।

 

हाल ही में स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) खतरे की आशंका के आधार पर कुछ मंत्रियों, विधायकों और सांसदों की सिक्योरिट घटा दी है। इनमें से ज्यादातर शिंदे गुट के नेता हैं। इस कारण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच तनाव बढ़ गया है।

महायुति में तनाव की वजहें क्या?

  1. सिक्योरिटी रिव्यूः चुनाव के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, दोनों डिप्टी सीएम, कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को Y कैटेगरी की सुरक्षा दी गई। इस कारण कुछ राजनेताओं की सुरक्षा को कम कर दिया गया। वो इसलिए क्योंकि अब ये नेता मंत्री नहीं हैं। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा शिंदे गुट को हुआ है। 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी तो उनके साथ आए 44 विधायकों और 11 सांसदों को Y कैटेगरी की सुरक्षा मिली थी।
  2. संरक्षक मंत्रियों की नियुक्तिः महायुति में तनाव की एक वजह संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति को भी माना जा रहा है। एकनाथ शिंदे को मुंबई और ठाणे का संरक्षक मंत्री बनाया गया है। माना जा रहा है कि शिंदे इससे खुश नहीं हैं। शिंदे रायगढ़ और नासिक के संरक्षक मंत्री का पद शिवसेना के लिए मांग रहे थे लेकिन फडणवीस ने इनकार कर दिया। रायगढ़ में एनसीपी की अदिति तटकरे और नासिक में बीजेपी के गिरीश महाजन को संरक्षक मंत्री नियुक्त किया है। इस कारण शिवसेना और एनसीपी में भी तनाव बढ़ गया है।
  3. दुश्मनों से बढ़ती करीबियांः हाल ही में महाराष्ट्र में सियासी दुश्मनों के बीच करीबियां भी बढ़ते दिखी हैं। बीते ढाई महीने में शिवसेना (यूबीटी) ने तीन बार सीएम फडणवीस से मुलाकात की है। आदित्य ठाकरे ने दो बार और उद्धव ठाकरे ने एक बार फडणवीस से मुलाकात की। दूसरी तरफ, नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को सम्मानित किया था। इससे शिवसेना (यूबीटी) नाराज हो गई। 

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क्या सबकुछ ठीक नहीं?

हाल ही में सीएम फडणवीस ने महाकुंभ को लेकर एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे शामिल नहीं हुए थे। इसके इतर उसी वक्त उन्होंने एक दूसरी बैठक की। इसे सीधे तौर पर फडणवीस की सत्ता को चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। 


शिंदे के इस बैठक से नदारद रहने पर विपक्ष ने भी तंज कसा। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'महायुति वैलेंटाइन मंथ बना रही है। नहीं।'


इसके अलावा, इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे से भी मुलाकात की थी। इससे BJP और MNS के बीच गठबंधन की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।


हालांकि, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने महायुति में किसी भी तरह की अनबन से इनकार किया है। उन्होंने कहा, 'विकास का विरोध करने के खिलाफ लड़ाई में हम एकजुट हैं।'

 

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महायुति को मिली थी 232 सीटें

लोकसभा चुनाव में कुछ खास प्रदर्शन न करने के बाद महायुति ने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में जबरदस्त वापसी की थी। महायुति ने राज्य की 288 में से 232 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने 132, शिवसेना ने 57 और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटें जीती थीं। गठबंधन की दो पार्टियों को 1-1 सीट पर जीत मिली थी। दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी बुरी तरह पिछड़ गया। ठाकरे की शिवसेना 20, शरद पवार की एनसीपी 10 और कांग्रेस 16 सीट ही जीत पाई।

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