विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया ब्लॉक' ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। विपक्ष का आरोप है कि राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पक्षपातपूर्ण तरीके से सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं।
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कहा कि हम राज्यसभा के सभापति के व्यवहार और पक्षपात से तंग आ चुके हैं। इसीलिए हमने उन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया है।
सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति हावी
राज्यसभा के सभापति धनखड़ के खिलाफ इंडिया ब्लॉक के अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'उपराष्ट्रपति भारत में दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। 1952 से लेकर उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है क्योंकि वे हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे रहे हैं। उन्होंने हमेशा सदन को नियमों के अनुसार चलाया। लेकिन, आज सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति हावी है।'
हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं सभापति
कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि राज्यसभा के सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं। विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते। बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है। उनकी निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ता पक्ष के प्रति है। वे अपनी अगले प्रमोशन के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान सभापति खुद हैं।
देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई
खड़गे ने कहा, 'सभापति के व्यवहार ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें अविश्वास प्रस्ताव के लिए यह नोटिस लाना पड़ा। हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र, संविधान की रक्षा के लिए और बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया है।'
लोकतंत्र पर एक जबरदस्त हमला
वहीं, अविश्वास प्रस्ताव पर डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि संसद में सत्ताधारी पार्टी द्वारा इस देश के लोकतंत्र पर एक जबरदस्त हमला किया जाता है और चेयरमैंन जगदीप धनखड़ चेयर द्वारा वे संरक्षित होते हैं, यह बहुत दुखद बात है।
उन्होंने कहा, 'हमने पहले अनुभव किया है जब बीजेपी विपक्ष में थी और जब कांग्रेस भी विपक्ष में थी, उस समय जब भी विपक्षी नेता बोलने के लिए खड़े होते थे या तुरंत बोलने की पेशकश करते थे तो विपक्षी नेता को मंच दिया जाता था और उस समय कोई भी बाधा नहीं डालता था। देश में क्या चल रहा है हमें बोलने की बिल्कुल भी परमिशन नहीं है, इसका मतलब है कि यह संसदीय लोकतंत्र और इस देश के लोकतंत्र के लिए एक झटका है।'
क्या हम लोकतंत्र की बहाली कर पाएंगे?
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि यह किसी व्यक्ति के बारे में नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांत की बहाली के बारे में है। अगर आपने पिछले 2 दिनों की कार्यवाही देखी है, कुछ लोगों ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, जिनका हम सम्मान करते हैं। यह न केवल पीड़ा देता है बल्कि हम यह भी सोचते हैं कि अगर आने वाले दिनों में सत्ता परिवर्तन होता है, तो क्या हम लोकतंत्र की मरम्मत और बहाली कर पाएंगे?