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किरेन रिजिजू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस, पूरा माजरा जानें

तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने गुरुवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया है।

Kiren Rijiju remarks on sansad

किरेन रिजिजू, Image Credit: Sansad TV

तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। घोष ने रिजिजू पर सदन का उल्लंघन करने और विपक्ष का अपमान करने का आरोप लगाया है। घोष ने आरोप लगाया कि बुधवार को किरेन रिजिजू ने सदन में विपक्ष की ओर देखते हुए कहा था कि आप लोग सदन में बैठने के लायक नहीं हैं। इस तरह का बयान देकर संसदीय कार्य मंत्री अपने पद का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। 

 

टीएमसी राज्यसभा सांसद घोष द्वारा जारी किए गए नोटिस का 60 विपक्षी सांसदों ने समर्थन किया है। यह नोटिस उस समय आया जब रिजिजू ने राज्यसभा में विपक्षी सांसदों से बात करते हुए कहा था, 'आप सभी इस सदन में रहने के योग्य नहीं हैं।' पत्रकारों से बात करते हुए घोष ने कहा, 'संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के बजाय, बार-बार विपक्ष का अपमान किया।'

 

विपक्षी सदस्यों का अपमान

घोष ने रिजिजू पर आरोप लगाया कि उन्होंने संसद के अंदर और बाहर विपक्षी सदस्यों का अपमान किया है और व्यक्तिगत शब्दों का इस्तेमाल किया है। यह उनके उच्च पद के लिए पूरी तरह से अनुचित है और उनके पद का पूरी तरह से दुरुपयोग है। तृणमूल सांसद ने विशेषाधिकार प्रस्ताव में रिजिजू पर अपने पद का दुरुपयोग करने और विपक्ष के खिलाफ 'असंसदीय भाषा' का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।

पूरा मामला है क्या?

हुआ यूं कि बुधवार को रिजिजू ने विपक्षी सदस्यों की आलोचना की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वो 'सदन में रहने के योग्य नहीं हैं।' उन्होंने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का भी बचाव किया जिन्हें हाल ही में विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ा है। रिजिजू ने कहा, 'अगर आप कुर्सी का सम्मान नहीं कर सकते तो आपको इस सदन का सदस्य होने का कोई अधिकार नहीं है।' मंगलवार को विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के साठ सांसदों ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए राज्यसभा में नोटिस पेश किया। उन्होंने उन पर उच्च सदन के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका में "अत्यधिक पक्षपातपूर्ण" होने का आरोप लगाया।

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