राजनीतिक दांव या डैमेज कंट्रोल, निशिकांत दुबे के बयान पर क्या-क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट को लेकर बीजेपी नेता निशिकांत दुबे के बयान के बाद कांग्रेस की तरफ से कई तरह के बयान सामने आए हैं। जानें किसने क्या कहा?

निशिकांत दुबे । Photo Credit: PTI
बीजेपी नेता निशिकांत दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि, बीजेपी ने इससे किनारा कर लिया है लेकिन अब कांग्रेस इस पूरे मुद्दे को लेकर हमलावर हो गई है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट और खास तौर पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर गंभीर टिप्पणियां कीं। इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने इन बयानों से किनारा कर लिया, लेकिन विपक्ष इसे केवल ‘डैमेज कंट्रोल’ मान रहा है।
कांग्रेस का यह बयान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आलोचना के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को ‘इस देश में जितने भी गृहयुद्ध हो रहे हैं उसके लिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ही जिम्मेदार हैं।’ इसके बाद पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने शनिवार रात को कहा कि बीजेपी इन टिप्पणियों को ‘पूरी तरह से खारिज’ करती है और इस तरह के बयानों के खिलाफ चेतावनी देती है।
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क्या बोली कांग्रेस
कांग्रेस सांसद और कम्युनिकेशन मामलों के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को कहा, ‘भारत के मुख्य न्यायाधीश पर दो भाजपा सांसदों द्वारा की गई टिप्पणियों से निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष का दूर रहना कोई मायने नहीं रखता।’
रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘जब घृणा फैलाने वाले भाषण की बात आती है तो ये सांसद बार-बार अपराध करते हैं और अक्सर समुदायों, संस्थानों और व्यक्तियों पर हमला करने के लिए उनका इस्तेमाल किया जाता है। निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष का बयान कुछ और नहीं बल्कि डैमेज कंट्रोल है। यह किसी को मूर्ख नहीं बना पाएगा। यह एक तरह का राजनीतिक दोगलापन है।’
धनखड़ पर भी लगाए आरोप
रमेश ने हाल ही में ज्युजिशियरी पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयानों का भी अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र किया और कहा, ‘लेकिन मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष ज्युडिशियरी पर किए गए इसी तरह की टिप्पणियों पर चुप हैं, जो एक काफी ऊंचे संवैधानिक पद पर नियुक्त किसी बहुत ही प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा लगातार की जाती रही है। इन टिप्पणियों के बारे में उनका क्या कहना है? क्या भाजपा उनका समर्थन करती है?’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए रमेश ने कहा, ‘अगर भारतीय संविधान पर लगातार हो रहे हमलों पर प्रधानमंत्री की निरंतर चुप्पी उनका मौन समर्थन नहीं है, तो इन दोनों सांसदों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या नड्डा जी ने इन दोनों सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है?’
शनिवार को झारखंड से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ कानून और पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुई हिंसा पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘इस देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं, उनके जिम्मेदार केवल यहां के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना साहब हैं।’
‘लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकते’
इसी तरह की बात करते हुए उत्तर प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा ने कहा था, ‘लोगों में यह आशंका है कि जब डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने संविधान लिखा था, तो उसमें विधायिका और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से लिखे गए थे… भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता और राष्ट्रपति ने पहले ही इस पर अपनी सहमति दे दी है। कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता, क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं…’
ज्युडिशियरी पर हाल ही में सवाल तब उठे जब धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि संविधान का अनुच्छेद 142, जो सुप्रीम कोर्ट को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने की शक्ति देता है, धनखड़ ने कहा, ‘न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है।’
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‘इसलिए, हमारे पास ऐसे जज हैं जो कानून बनाएंगे, जो एक्जीक्यूटिव काम भी करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में पार्लियामेंट के रूप में काम करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।’
इस बयान पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने कभी किसी राज्यसभा के सभापति को इस तरह का ‘राजनीतिक बयान’ देते नहीं देखा और ऐसा लगता है कि ‘जैसे न्यायपालिका को सबक सिखाने की कोशिश हो रही है।’
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