दिल्ली में सिर्फ तापमान ही नहीं, बल्कि सियासी पारा भी चढ़ने लगा है। राजनीतिक पार्टियों के बीच बयानबाजी भी तेज हो गई है। अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आम आदमी पार्टी पर बड़ा हमला बोला है। अमित शाह ने आम आदमी पार्टी को 'अवैध आमदनी वाली पार्टी' बताया है।
रविवार को नरेला सीट पर एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, 'केजरीवाल ने केवल वोट पाने के लिए झूठ बोला। AAP का मतलब 'अवैध आमदनी वाली पार्टी' है।'
अब जब पार्टियों की आमदनी पर चर्चा शुरू हो गई है तो ये जान लेना जरूरी है कि राजनीतिक पार्टियों आखिर कमाती कहां से हैं? और कहां खर्च करती हैं?
AAP की कितनी कमाई?
2022-23 की तुलना में 2023-24 में आम आदमी पार्टी की कमाई में 73 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। चुनाव आयोग में दाखिल ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में आम आदमी पार्टी ने 22.68 करोड़ रुपये की कमाई की। इससे पहले 2022-23 में पार्टी ने 85.17 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाए थे।
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी को सबसे ज्यादा 22.13 करोड़ की कमाई चंदे से हुई है। करीब 53.80 लाख रुपये पार्टी ने ब्याज से कमाए हैं।
पार्टी ने ऑडिट रिपोर्ट में बताया है कि 2023-24 में उसे 8.90 करोड़ रुपये निजी व्यक्तियों या संस्था से मिले हैं। वहीं, कंपनियों या संगठनों से 3.08 करोड़ रुपये मिले थे। जबकि, इलेक्टोरल ट्रस्ट या इलेक्टोरल बॉन्ड से पार्टी ने 10.15 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
2023-24 में भी पार्टी ने कमाई से ज्यादा खर्च किया है। 2023-24 में आम आदमी पार्टी ने 34.09 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें से 9.64 करोड़ रुपये पार्टा ने चुनाव पर खर्च किए थे जबकि 19.11 करोड़ रुपये पार्टी के प्रचार और प्रोपेगैंडा पर खर्च हुए थे।
बाकी पार्टियों की कितनी कमाई?
बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक 2023-24 की ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं की। दोनों ही पार्टियों की आखिरी ऑडिट रिपोर्ट 2022-23 की है। इसके मुताबिक, 2022-23 में बीजेपी ने 2,361 करोड़ रुपये की कमाई की थी। 2021-22 की तुलना में ये 77 फीसदी ज्यादा थी। 2021-22 में पार्टी ने 1,917 करोड़ रुपये कमाए थे।
इसी तरह 2022-23 में कांग्रेस ने 452 करोड़ रुपये की कमाई की थी। 2021-22 की तुलना में कांग्रेस की कमाई में 16 फीसदी की कमी आई थी। 2021-22 में पार्टी ने 541 करोड़ रुपये कमाए थे।
दोनों पार्टियों की ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि इनकी कमाई का सबसे बड़ा जरिया इलेक्टोरल बॉन्ड थे। बीजेपी की 55% यानी 1,294 करोड़ की कमाई चुनावी बॉन्ड से हुई थी। जबकि, कांग्रेस को 38% यानी 171 करोड़ की आमदनी बॉन्ड से हुई थी। हालांकि, पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को 'असंवैधानिक' बताते हुए रद्द कर दिया था।
बीजेपी ने 2022-23 में 1,362 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इनमें से 80 फीसदी से ज्यादा यानी 1,092 करोड़ चुनावों पर खर्चा किया था। वहीं, कांग्रेस ने 467 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जिसमें से 41 फीसदी यानी 193 करोड़ चुनावों पर हुआ था।
कहां से कमाती है पार्टियां?
राजनीतिक पार्टियों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया चंदा होता है। इसके अलावा मेंबरशिप फीस और ब्याज से भी पार्टियां कमाती हैं। राजनीतिक पार्टियों की निगरानी करने वाली संस्था ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में बीजेपी को 2,244 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। इससे पहले 2022-23 में बीजेपी को 719 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। इसी तरह कांग्रेस को 2023-24 में 289 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। जबकि, 2022-23 में कांग्रेस ने 80 करोड़ रुपये चंदे से जुटाए थे।
कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दिया है। इससे बीजेपी को 723.6 करोड़ रुपये मिले हैं। इसी ट्रस्ट ने कांग्रेस को भी 156.4 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया है।
2023-24 में बीजेपी को लगभग 850 करोड़ रुपये इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए मिले हैं। इनमें सबसे ज्यादा 723 करोड़ प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से आए हैं। इसके अलावा ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट से 127 करोड़ और इंजीगार्टिंग इलेक्टोरल ट्रस्ट से 17.2 लाख रुपये का चंदा मिला है।
वहीं, कांग्रेस को 156 करोड़ रुपये ट्रस्ट से मिले हैं। यह पूरा पैसा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से ही आया है। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से भारत राष्ट्र समिति (BRS) को 85 करोड़ और वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) को 62.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। टीडीपी को 33 करोड़ का चंदा प्रूडेंट ने दिया है।
आम आदमी पार्टी को 2023-24 में 11.1 करोड़ रुपये का चंदा मिला। 2022-23 में पार्टी को 37 करोड़ का चंदा मिला था। सीपीएम को 7.6 करोड़ और मेघालय की एनपीपी को 14.8 लाख रुपये का चंदा मिला।