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स्टार प्रचारक टू सांसद...52 साल में सांसद बनीं प्रियंका गांधी का सफर

प्रियंंका गांधी की लोकसभा में एंट्री के साथ ही संसद में गांधी परिवार के सांसदों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है। इसी के साथ आइये जान लेते हैं प्रियंका गांधी का अब तक का सफर

Political Journey of Priyanka Gandhi Vadra

प्रियंका गांधी वाड्रा, Image Credit: PTI

प्रियंका गांधी की लोकसभा में एंट्री के साथ ही संसद में गांधी परिवार के सांसदों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है। केरल के वायनाड का उपचुनाव जीतकर प्रियंका गांधी ने 28 नवंबर को सांसद पद की शपथ ली। हाथ में संविधान की कॉपी पकड़े हिंदी में शपथ ग्रहण करने वाली गांधी परिवार की सदस्य प्रियंका के सांसद बनने पर भाई राहुल गांधी एक प्राउड ब्रदर की तरह अपनी बहन की फोटे लेते नजर आए। तो वहीं मां सोनिया गांधी का सीना भी गर्व से चौड़ा हो गया। 

52 साल की उम्र में बनीं सांसद

52 साल की उम्र में सासंद का पद ग्रहण करने वाली प्रियंका ने कभी पहले चुनाव क्यों नहीं लड़ा? 17 साल की उम्र से कांग्रेस की स्टार प्रचारक रही प्रियंका ने कम उम्र में ही अपनी दादी की मौत और पिता की हत्या की खबर सुनी। अपने भाई राहुल से महज 18 महीने 24 दिन छोटी प्रियंका का जन्म 12 जनवरी, 1972 में हुआ था। इंदिरा गांधी के सचिव माखनलाल फोतेदार की किताब 'द चिनार लीव्स ए पॉलीटिकिल मेमॉयर' में वह लिखते हैं कि दादी इंदिरा गांधी को अपनी पोती प्रियंका में नेता नजर आता था।' 

 

12 साल में दादी और 17 साल में पिता को खोया

प्रियंका ने महज 12 साल की उम्र में अपनी दादी को खो दिया था। जब वह 17 साल की थी तो उन्हें खबर मिलती है कि उनके पिता की हत्या कर दी गई है। स्पैनिश लेखक जेवियर मोरो की किताब 'द रेड सारी' में उन्होंने लिखा कि परिवार में सबसे पहले अपने पिता की हत्या की खबर प्रियंका को लगी थी। वहीं, उनकी मां सोनिया बेहोशी की हालत में थी। बड़े भाई राहुल गांधी अमेरिका में थे। ऐसे मौके पर प्रियंका ही बड़े फैसले ले रही थी। घटना की रात ही प्रियंका अपनी मां के साथ मद्रास पहुंची और पिता का शव लेकर दिल्ली लौटीं। कम उम्र में खुद को संभालते हुए प्रिंयका अपनी मां की सहारा बनी थी। 

17 साल की उम्र से कांग्रेस की बनीं स्टार प्रचारक

23 अक्तूबर, 2024 को वायनाड की एक रैली में प्रियंका गांधी ने कहा था कि '17 साल की उम्र में मैंने अपने पिता के लिए पहली बार प्रचार किया था 35 साल से मैं अपनी मां, भाई और कई लोगों के लिए चुनाव प्रचार करती रही हूं। आज पहली बार मैं अपने लिए वोट मांग रही हूं। यह बिल्कुल अलग एहसास है।'

चुनाव प्रचार के दौरान जब अपने चाचा के लिए बोलीं थी यह बात

1999 के चुनाव के दौरान अरूण नेहरु भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से रायबरेली सीट पर चुनाव लड़ने के लिए उतरे। रिश्ते में प्रियंका गांधी के चाचा होने के बावजूद एक रैली में उन्होंने कहा 'आप ऐसे शख्स को अपने क्षेत्र में कैसे आने दे सकते हैं जिन्होंने गांधी परिवार के साथ गद्दारी की।' बता दें कि रायबरेली सीट से अरुण नेहरू हार गए थे। 

 

मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में हुए चुनावों के लिए प्रियंका गांधी न केवल स्टार प्रचारक बल्कि संकटमोचक बनकर उभरी। अब  वायनाड ने गांधी परिवार को दो बार जीत दिलाई है। पहले राहुल और अब प्रियंका गांधी। इस जीते से यह संदेश मिलता है कि वायनाड लंबे समय तक गांधी परिवार का गढ़ बना रहेगा। 

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