कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और पार्टी सांसद सोनिया गांधी का आज 78वां जन्मदिन हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर तेलंगाना में राज्य सचिवालय में 'तेलंगाना थल्ली' की नई डिजाइन की गई मूर्ति का अनावरण करेगी। दरअसल, रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सोनिया गांधी को अक्सर 'तेलंगाना की मां' के रूप में संदर्भित करते हैं।
ऐसे में आप मानो या न मानो लेकिन तेलंगाना राज्य में उनके प्रशंसकों ने सोनिया गांधी का एक मंदिर भी बनाया है। जी हां, 2014 में जब पूर्व AICC अध्यक्ष सोनिया गांधी के हस्तक्षेप से एक नया राज्य तेलंगाना बनाया गया तो जिले भर के कांग्रेस नेताओं ने सम्मान के रूप में तेलंगाना के एक शहर मल्लियाल में उनके नाम का एक मंदिर निर्माण कराया।
सफेद संगमरमर की मूर्ति
इस मंदिर को बनाने के पीछे की भावना सोनिया गांधी के प्रति आभार व्यक्त करना था। इस मंदिर में सोनिया गांधी की एक सफेद संगमरमर की मूर्ति है। न केवल सोनिया बल्कि मंदिर की बाहरी दीवारों पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और राहुल गांधी सहित पूरे गांधी परिवार की तस्वीरें भी लगी हुई है। मंदिर का उद्घाटन 2014 में जगतियाल के निर्वाचित विधायक टी जीवन रेड्डी ने पूर्व सांसद पोन्नम प्रभाकर, पूर्व विधायक सुदाला देवैया सहित अन्य लोगों की उपस्थिति में किया था। सोनिया गांधी की इस प्रतिमा को पार्टी के नेताओं ने राजस्थान से मल्लियाल शहर के करीमनगर लेकर आए थे।
जब पूर्व मंत्री पी शंकर राव ने भी बनवाई सोनिया गांधी की मूर्ति
पूर्व मंत्री पी शंकर राव ने भी एक 9 फीट की सोनिया गांधी की प्रतिमा महबूबनगर जिले में बनवाई है। प्रतिमा में गांधी को एक भारतीय देवी के रूप में चित्रित किया गया हैं। उनके एक हाथ में कमल और दूसरे हाथ में धन से भरी थाली है। राज्य के कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सोनिया गांधी की पहल के बिना तेलंगाना राज्य वास्तविकता नहीं बन पाता। दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश को विभाजित करने और एक नया राज्य तेलंगाना बनाने के कांग्रेस पार्टी के फैसले के लिए सोनिया गांधी को 'धन्यवाद' देने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया।
9 एकड़ की इस जमीन पर राव ने इस मंदिर का निर्माण कराया। बता दें कि राव, नेहरू-गांधी परिवार के कट्टर वफादार हैं। उन्हें कांग्रेस की तरफ से 7 बार चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया था और वह दो बार मंत्री पद पर भी रहे। सोनिया गांधी की इस मूर्ति को कांस्य से तैयार किया गया है। इसका वजन 500 किलोग्राम है। इस मूर्ति को एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मूर्तिकार द्वारा तैयार किया गया है।