तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी के बारे एक बयान देकर विवाद को खड़ा कर दिया है। उन्होंने पीएम मोदी के बारे में कहा कि वह जन्म से पिछड़ा वर्ग से संबंध नहीं रखते हैं, लेकिन लीगली कन्वर्टेड बीसी (पिछड़ा वर्ग) हैं।
रेड्डी ने एक्स पर पोस्ट के जरिए कहा, 'मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं: मोदी कहते हैं कि वे बीसी (पिछड़ा वर्ग) हैं। मोदी बीसी नहीं हैं। वे लीगली कन्वर्टेड बीसी (पिछड़ा वर्ग) हैं। 2001 में, सीएम बनने से पहले, उनकी जाति गुजरात राज्य में उच्च वर्गों में से एक थी। सीएम बनने के बाद, उन्होंने उस जाति को पिछड़ा वर्ग (बीसी) में मिला दिया। नरेंद्र मोदी बीसी के रूप में पैदा नहीं हुए थे; वे जन्म से ही उच्च जाति में थे। उनका प्रमाण पत्र जरूर बीसी (पिछड़ा वर्ग) का होगा, लेकिन उनकी मानसिकता एंटी-बीसी है।'
उन्होंने देशव्यापी जाति जनगणना कराए जाने की भी मांग की ताकि जातियों और उपजातियों के आधार पर उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सके।
जाति जनगणना की भी की मांग
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने विपक्षी दलों पर तेलंगाना सरकार द्वारा किए गए सामाजिक-आर्थिक जाति सर्वेक्षण पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। जाति सर्वेक्षण सभी पहलुओं और पारदर्शी तरीके से किया गया था। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए झूठा अभियान चला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जो परिवार पहले चरण के सर्वेक्षण में भाग नहीं ले पाए थे, उनकी सुविधा के लिए सरकार दोबारा सर्वेक्षण करवा रही है और लोगों को इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना चाहिए।
रेवंत रेड्डी ने कहा, 'बीआरएस सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव, पूर्व मंत्री केटी रामा राव और टी हरीश राव ने पहले सर्वेक्षण में भाग नहीं लिया था। उन्हें दोबारा सर्वेक्षण में भाग लेना चाहिए।'
इससे पहले उसी स्थान पर युवा कांग्रेस नेताओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार तेलंगाना के साथ भेदभाव कर रही है। गुजरात और बिहार राज्यों को धन और परियोजनाएं मंजूर की जा रही हैं, जबकि मेट्रो चरण II, मुसी नदी के पुनरुद्धार और अन्य परियोजनाओं को कोई सहायता नहीं दी जा रही है। उन्होंने मांग की कि केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और बंदी संजय को स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए एक कार्य योजना पर काम किया जा रहा है।'
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