आज पेश होगा वक्फ बिल, कौन-कौन विरोध में, किसने क्या कहा? जानें सबकुछ
वक्फ संशोधन बिल संसद में बुधवार को पेश होने वाला है। इस बिल को लेकर संसद में आज भी नारेबाजी हुई। जानें कि विपक्ष का इस पर क्या कहना है और एनडीए के दो घटक TDP-JD(U) का भी क्या रवैया है?

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI
केंद्र सरकार बुधवार को संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश करने जा रही है। सरकार के अनुसार, विधेयक का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार करना है। पिछले साल सितंबर में जारी एक बयान में कहा गया था कि इसका उद्देश्य पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करना और वक्फ की परिभाषा को और बेहतर बनाने, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में सुधार करने और वक्फ रिकॉर्ड के मैनेजमेंट में टेक्नॉलजी की भूमिका बढ़ाने जैसे बदलाव लाकर वक्फ बोर्डों की कार्यक्षमता को बढ़ाना है।
हालांकि, जब से इसे लाया गया है, तब से इस विधेयक की पूरे देश में आलोचना हो रही है, जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) सहित मुस्लिम संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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क्या हैं विवादित बिंदु
विधेयक के कुछ सबसे विवादास्पद प्रावधानों में एक गैर-मुस्लिम को वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी या सीईओ बनने की अनुमति देना, राज्य सरकारों द्वारा अपने राज्य के वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को नियुक्त करने का प्रावधान करना, जिला कलेक्टर को यह निर्धारित करने की शक्ति देना कि विवादित संपत्ति वक्फ है या सरकार की है।
इसके अलावा 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' की अवधारणा को खत्म करना, यह अनिवार्य करना कि कानून के लागू होने के छह महीने के भीतर प्रत्येक वक्फ संपत्ति को केंद्रीय डेटाबेस पर रजिस्टर किया जाए, और उस प्रावधान को हटाना जो वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को अंतिम फैसला बनाता है।
पिछले साल विपक्ष के हंगामे के बीच इस विधेयक को संसद में पेश किया गया था और बाद में इसे स्क्रूटिनी के लिए भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया था।
13 फरवरी को सदन की समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसे 19 फरवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी। हालांकि, पैनल में शामिल विपक्षी सांसदों ने अपने प्रस्तावित संशोधनों को खारिज किए जाने पर चिंता जताई और दावा किया कि उनकी असहमति को उनकी जानकारी के बिना रिपोर्ट से हटा दिया गया।
पैनल ने एनडीए सांसदों द्वारा सुझाए गए 14 बदलावों को स्वीकार कर लिया और विपक्षी सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी 44 बदलावों को खारिज कर दिया। रिपोर्ट से पहले पैनल की कार्यवाही भी हंगामे और शोर-शराबे से भरपूर रही। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी को पैनल की कार्यवाही में बाधा डालने और इसकी एक बैठक के दौरान मेज पर बोतल फोड़ने के लिए एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था।
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छह विपक्षी सांसदों – बनर्जी, असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), मोहम्मद जावेद (कांग्रेस), संजय सिंह (आप), मोहम्मद नदीमुल हक (टीएमसी) और एम एम अब्दुल्ला (डीएमके) – ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर पाल पर पैनल की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप लगाया।
Delhi: INDIA bloc Floor Leaders' meeting underway to discuss the strategy on Waqf Amendment Bill issue.
— ANI (@ANI) April 1, 2025
(Pics: AICC) pic.twitter.com/z58SmEPqL3
JD(U) और TDP पक्ष में
एनडीए का घटक टीडीपी के बारे में कहा जा रहा था कि वह इसका विरोध कर सकता है लेकिन चंद्रबाबू नायडू ने इस बिल को अपना सपोर्ट दिया है। टीडीपी के प्रवक्ता प्रेम कुमार जैन ने कहा, 'पूरी मुस्लिम कम्युनिटी वक्फ बिल का इंतजार कर रही है। मैं आप सभी को इस बात का विश्वास दिलाता हूं कि मैं मुस्लिमो के पक्ष में हूं।'
वहीं नीतीश कुमार की पार्टी ने मांग की है कि इसे रेट्रोस्पेक्टिव तरीके से यानी कि पीछे से लागू नहीं किया जाना चाहिए और उन्हें उम्मीद है कि सरकार इस पर विचार ज़रूर करेगी। सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों ने तीन सुझाव दिए हैं-
- कानून को पिछली तारीख से लागू नहीं करना चाहिए।
- पुरानी मस्जिद, दरगाह या दूसरे मुस्लिम धार्मिक स्थान से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।जमीन राज्यों का विषय है। जमीन पर राज्यों की स्पष्ट राय भी ली जाए।
क्या है विपक्ष का रवैया
मंगलवार को विपक्ष ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग से वॉकआउट किया। वहीं कांग्रेस सासंद गौरव गोगोई ने सरकार पर अपने एजेंडे को थोपने और विपक्षी सदस्यों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाया।
समाजवादी पार्टी की बात करें तो अखिलेश यादव ने बिल का विरोध करने की बात कही है। आज के दिन भी वक्फ पर काफी बवाल हुआ। प्रश्नकाल खत्म होते ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी।
वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन बिल को 'वक्फ बर्बाद बिल' कहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का एकमात्र मकसद मुसलमानों से नफरत फैलाना और हिंदुत्व की विचारधारा लागू करना है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस बिल का विरोध करने का फैसला किया है।
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कितना संख्या बल?
लोकसभा में, सहयोगी टीडीपी और जेडी(यू) के साथ, एनडीए के पास विधेयक को पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या बल है।
245 सदस्यों वाली राज्यसभा में एनडीए के पास 125 सांसद हैं। नौ सीटें खाली होने के कारण, एनडीए को विधेयक पारित कराने के लिए 118 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता है - जो उसके पास है।
BJP issues whip to all Lok Sabha MPs to be present in Parliament tomorrow, 2nd April.
— ANI (@ANI) April 1, 2025
On 2nd April, Waqf Amendment Bill will be introduced for consideration and passing. pic.twitter.com/8coAnUDpyg
जहां भाजपा ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को बुधवार को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए व्हिप जारी किया है, वहीं विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने मंगलवार शाम को बैठक की, जिसमें विधेयक को संसद में पेश किए जाने पर अपनी रणनीति पर चर्चा की गई।
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