16 दिसंबर 2024, सोमवार को मीडिया में खबरें आने लगीं की अगले दिन लोकसभा में बीजेपी 'एक देश एक चुनाव' बिल पेश करेगी। इस कारण भी था, बीजेपी ने व्हिप जारी किया था, जिसके मुताबिक सभी बीजेपी सांसदों को 17 दिसंबर 2024 को सदन में उपस्थित रहने को कहा गया था।
हुआ भी कुछ ऐसा ही। अगले तारीख 17 दिसंबर 2024 दिन मंगलवार को एक देश एक चुनाव बिल पेश हुआ। इसके पक्ष में 269 वोट और विपक्ष में 198 वोट पड़े, लेकिन पता यह चला कि 20 बीजेपी सांसद सदन से नदारद थे। बीजेपी ने फैसला किया कि इन सांसदों को नोटिस भेजा जाएगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर व्हिप होता क्या है जिसको लेकर सदन में उपस्थित न होने पर इन सांसदों को नोटिस भेजा जा रहा है।
क्या होता है व्हिप
व्हिप किसी पार्टी द्वारा जारी किया जाने वाला आधिकारिक निर्देश होता है, जो कि पार्टी के सांसदों या विधायकों को जारी किया जाता है। इसे जारी करने का उद्देश्य पार्टी द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों को यह निर्देश देना होता है कि वे किसी खास विधेयक पर वोटिंग के लिए उपस्थित रहें या कि यह भी बताने के लिए होता है कि वे किस तरह से वोट करें।
कौन जारी करता है
देश की कोई भी राजनीतिक पार्टी व्हिप जारी कर सकती है। इसके लिए पार्टी सदन के किसी सीनियर सदस्य को व्हिप के रूप में नियुक्त करती है। इस सदस्य को चीफ व्हिप कहा जाता है। चीफ व्हिप की सहायता के लिए अन्य व्हिप भी होते हैं।
कितने तरह के होते हैं व्हिप
व्हिप मुख्य रूप से तीन तरह के होते हैं- वन-लाइन व्हिप, टू-लाइन व्हिप और थ्री-लाइन व्हिप।
वन-लाइन व्हिप को सिर्फ एक बार अंडरलाइन किया जाता है। इसका उद्देश्य सामान्य रूप से पार्टी के सदस्यों को वोटिंग के बारे में सूचना देना होता है। इस व्हिप में पार्टी सदस्यों को इस बात की अनुमति होती है कि चाहें तो उपस्थित न हों।
टू-लाइन व्हिप में सदस्यों को वोटिंग के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाता है।
वहीं थ्री-लाइन व्हिप में सबसे ज्यादा सख्ती भरा व्हिप होता है जो कि काफी महत्त्वपूर्ण मौकों पर जारी किया जाता है, जैसे- अविश्वास प्रस्ताव या किसी विधेयक के दोबारा पेश किए जाने पर इत्यादि। इस व्हिप के जारी किए जाने पर पार्टी के सदस्यों को पार्टी लाइन के अनुसार ही वोटिंग करनी होती है।
उल्लंघन पर क्या होता है ऐक्शन
थ्री-लाइन व्हिप का उल्लंघन करने पर पार्टी उस सदस्य के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और उस सदस्य की सदस्यता भी पार्टी खत्म कर सकती है। ऐसा करने पर दल-बदल कानून के तहत भी कार्रवाई हो सकती है और स्पीकर या चेयरपर्सन उस सदस्य को अयोग्य भी घोषित कर सकता है, उस केस को छोड़कर जब किसी पार्टी के एक तिहाई से ज्यादा सदस्यों ने व्हिप के विपरीत वोटिंग की हो।