महाराष्ट्र की राजनीति में ऊपर से तो शांति दिख रही है लेकिन आंतरिक तौर पर उथल-पुथल मची हुई है। गुरुवार देर रात दिल्ली में अमित शाह के घर पर महाराष्ट्र के नेताओं की मुलाकात हुई तो लगा था कि अब फैसला हो जाएगा। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने इसी के संकेत भी दिए थे लेकिन अब मामला फिर से फंसता दिख रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, आज मुंबई में महायुति की बैठक होनी थी लेकिन अचानक सीएम शिंदे अपने गृह जिले के लिए रवाना हो गए जिससे यह मीटिंग टल गई। कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे खुद डिप्टी सीएम बनने पर सहमत नहीं हैं। इस बीच चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना किसी और नेता का नाम डिप्टी सीएम के तौर पर आगे कर सकती है। इन नामों में सबसे प्रबल दावेदार महाराष्ट्र सरकार के एक पूर्व मंत्री को ही माना जा रहा है।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, शिवसेना की ओर से मालेगांव बाहरी विधानसभा सीट से शिवसेना के विधायक दादाजी भुसे इस पद के लिए पहली पसंद बताए जा रहे हैं। खबरगांव ने दादाजी भुसे की टीम के एक सदस्य से बात की तो उनका कहना था, 'ऐसी बात तो चल रही है लेकिन फैसला मुंबई से होगा। इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कह सकते।' यानी अभी तक भले ही किसी का नाम तय नहीं हुआ है लेकिन इतना साफ है कि दादाजी भुसे के नाम को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
कौन हैं दादाजी भुसे?
पुराने शिवसैनिक और एकनाथ शिंदे के करीबी दादाजी दागड़ू भुसे मालेगांव बाहरी विधानसभा सीट से विधायक हैं। साल 2004 में निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनाव जीतने के बाद 2009 से अब तक वह लगातार चार बार शिवसेना के टिकट पर इसी सीट से जीतते आए हैं। यानी साल 2004 से अब तक वह मालेगांव बाहरी सीट के विधायक हैं। 2014 से ही वह महाराष्ट्र की सरकार में मंत्री भी बनते रहे हैं। 2014 में बनी सरकार में वह सहकारी विभाग में राज्यमंत्री बने थे। वहीं, बाद में उन्हें ग्रामीण विकास विभाग भी मिला।
इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें 1,58,284 वोट मिले और दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार प्रमोद को सिर्फ 51 हजार वोट मिले। इस सीट पर शिवसेना (UBT) तीसरे नंबर पर रही। इससे पहले के चुनावों में भी वह बड़ी जीत हासिल करते आए हैं। महायुति की पिछली सरकार में भी वह मंत्री थे और इस बार भी उनका दावा प्रबल है। 2019 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक, दादाजी भुसे ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया है।
क्यों हो सकते हैं पहली पसंद?
दादाजी भुसे पुराने शिवसैनिक होने के साथ-साथ 'ब्रैंड हिंदुत्व' वाली राजनीति करते हैं। 1993 में हुई मुंबई दंगों के बाद जब मालेगांव और उसके आसपास के इलाकों में हंगामा हुआ था तब स्थानीय हिंदुओं की मदद करने वालों में दादाजी भुसे सबसे आगे थे। धीरे-धीरे ऐसी ही और घटनाओं के चलते दादाजी भुसे मालेगांव में बड़ी ताकत बनकर उभरे और उनके सहारे शिवसेना भी इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ बनाने में कामयाब हुई। हिंदुत्व, विकास और एकनाथ शिंदे से करीबी के चलते दादाजी भुसे इस कथित रेस में काफी आगे माने जा रहे हैं।
दादाजी भुसे के बारे में एक और रोचक तथ्य है कि वह उन्हीं आनंद दिघे के शिष्य रहे हैं जिनके शिष्य एकनाथ शिंदे है। कहा जाता है कि दोनों की दोस्ती भी आनंद दिघे के पास से ही शुरू हुई थी। उनके बारे में कहा जाता है कि आनंद दिघे ने भविष्यवाणी की थी कि भुसे एकदिन महाराष्ट्र के कृषि मंत्री बनेंगे। 2019 में यह भविष्यवाणी भी साबित हुई, जब एकनाथ शिंदे ने पाला बदला और दादाजी भुसे भी उनके साथ चले गए। साल 2022 में उन्हें बंदरगाह विकास मंत्री भी बनाया गया।