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बेलगावी के नव सत्याग्रह में 'गांधी' से क्या सीखेगी कांग्रेस?

साल 1924 में बेलगावी में पहली बार महात्मा गांधी ने कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। कांग्रेस यहीं से नई राह तलाश रही है।

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मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी। (तस्वीर-PTI)

कांग्रेस को महात्मा गांधी याद आए हैं। जिस बेलगावी में उन्होंने साल 1924 के कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी, वहीं से कांग्रेस नव सत्याग्रह शुरू करने जा रही है। कांग्रेस ने अपनी वार्किंग कमेटी की बैठक को नव सत्याग्रह का नाम दिया है। कांग्रेस 27 दिसंबर को 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' रैली आयोजित करने वाली है।

बेलगावी अधिवेशन के 100 साल पूरे होने वाले हैं। उसी अधिवेशन में महात्मा गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। कांग्रेस अपने इतिहास से सीखने का मन बना चुकी है। कांग्रेस वर्किंग समिति की बैठक में 200 से ज्यादा नेता शामिल होंगे। कांग्रेस ने यह दिन क्यों चुना है, इसके लिए 1924 में हुआ क्या था, यह जानते हैं।


साल था 1924। कांग्रेस पार्टी 39वां सत्र आयोजित करने वाली थी। यह पहला अधिवेशन था, जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। कर्नाटक का यह इकलौता अधिवेशन था। यहीं वीरसौधा स्मारक भी है, जिसे पहले सत्र की याद में बनाया गया है। कैंपस में एक कुआं भी है, जिसे कांग्रेस कुआं भी कहा जाता है। यहीं से कांग्रेस एक अहम शुरुआत करने जा रही है।

गांधी का संदेश क्या था?
महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का जिक्र करते हुए अहिंसा के बारे में संदेश दिया था। चौरी चौरा पुलिस स्टेशन में फरवरी 1922 में जो हिंसा हुई थी, महात्मा गांधी ने यह आंदोलन रोक दिया था। उन्होंने कहा था कि यह आंदोलन भले ही उम्मीद के मुताबिक न हो, आगे बढ़ने का यह प्रभावी तरीका था।  

महात्मा गांधी ने कहा था, '1920 में कलकत्ता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में सरकारी उपाधियों, कानूनी अदालतों, शैक्षणिक संस्थानों, विधायी निकायों और विदेशी कपड़ों के बहिष्कार का संकल्प लिया गया था। सभी संकल्पों को जन स्वीकृति मिली लेकिन एक भी बहिष्कार पूरा नहीं हुआ। सबने बहिष्कार किया तो किया लेकिन हिंसा का बहिष्कार करना भी जरूरी था।'


महात्मा गांधी ने कहा था, 'मेरे लिए, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार अहिंसा के वस्त्रों का प्रतीक है। क्रांतिकारी अपराध का उद्देश्य दबाव डालना है। मेरा मानना ​​है कि अहिंसक कामों से हिंसक कृत्यों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी ढंग से डाला जा सकता है। यह दबाव सद्भावना और नम्रता से आता है।'


महात्मा गांधी ने कहा था, 'अस्पृश्यता स्वराज के लिए एक और बाधा है। इसका उन्मूलन स्वराज के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि हिंदू-मुस्लिम एकता। हिंदू तब तक स्वराज का दावा नहीं कर सकते जब तक कि वे दमित वर्गों की स्वतंत्रता को बहाल नहीं कर देते।'

महात्मा गांधी ने स्व-शासन, हिंदुस्तानी भाषा और अदालती अधिकार की मांग की थी। महात्मा गांधी ने लोगों से अपील की थी कि लोग पूर्ण सत्याग्रही बन जाएं। उन्होंने स्वराज अपनाने की मांग की थी। उन्होंने लोगों से खादी और कताई करने की अपील की थी।

अधिवेशन से क्या बदला?
बेलगावी अधिवेशन के बाद लोग बड़ी संख्या में सत्याग्रह से जुड़े थे। लोगों में राजनीतिक प्रबुद्धता आई थी और किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग, गरीब-अमीर हर कोई स्वाधीनता क्रांति से जुड़े। महात्मा गांधी के संदेश को व्यापक स्वीकृति मिली। ग्रामीण उद्योग बढ़ा, कांग्रेस को जनता का समर्थन मिला। स्वराज के लिए लोगों ने आवाज उठाई। 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे। (तस्वीर-PTI)



गांधी के सीख से कितना सीखने के लिए तैयार है कांग्रेस?
कांग्रेस नेता प्रमोद उपाध्याय कांग्रेस की नीतियों पर बात करते हुए कहते हैं कि कांग्रेस दलित और अल्पसंख्यकों के मुद्दों को लेकर दशकों से संघर्ष कर रही है। महात्मा गांधी ने जो संदेश 1924 में दिया था, कांग्रेस आज तक उसे अक्षरश: मान रही है। गृहमंत्री अमित शाह ने शीतकालीन सत्र के दौरान डॉ. भीम राव आंबेडकर का अपमान किया था, उस मुद्दे पर ही हम अधिवेशन में चर्चा करेंगे। हम दलित और अल्पसंख्यक हितों का ही जिक्र करेंगे।

क्यों 'बापू' के सीख की पड़ी कांग्रेस को जरूरत?
कांग्रेस नेता प्रमोद उपाध्याय बताते हैं कि देश की मौजूदा स्थिति ऐसी है कि कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। कांग्रेस को संगठनात्मक बदलाव की जरूरत है, जिससे अब सियासी जीत भी मिले, समाज के हर वर्ग का साथ मिले। कांग्रेस आत्म मंथन कर रही है। हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक के नतीजे ऐसे हैं, जिन पर हम विचार नहीं करेंगे तो पीछे रह जाएंगे। 

प्रमोद उपाध्याय बताते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी बार-बार संसद में यह कह चुके हैं कि कुछ लोगों के हाथ में ही सारी पूंजी है, गरीबों का शोषण हो रहा है, एससी, एसटी, ओबीी और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है, उन्हें कमतर आंका जा रहा है। लोगों को वर्गों में बांटा जा रहा है। कांग्रेस की बुनियादी लड़ाई महात्मा गांधी के विचारों पर आधारित है, इसी के खिलाफ हमारी जंग है, जिसकी शुरुआत हम बेलगावी से कर रहे हैं। हम गांधी के 'अंतिम व्यक्ति' वाले सिद्धांत को मानते हैं, जिसमें जब तक समाज के सबसे दबे-कुचले समाज को मजबूत करने की बात कही जाती है। 

क्या है कांग्रेस का कार्यक्रम?
बेलगावी सत्र का पहला वीर सौधा में आयोजित होगा। साल 1924 में भी यहीं सत्र आयोजित किया गया था। यहीं कर्नाटक सरकार ने महात्मा गांधी की प्रतिमा तैयार कराई है, जिसका अनावरण होगा। यह बेलगावी स्थित राज्य के विधानसभा के सुवर्ण विधान सौधा में किया जाएगा।

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