दिल्ली की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप थमने का नाम नहीं ले रहा। भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल को 'एडवरटीजमेंट बाबा' कह दिया।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कहा, अरविंद केजरीवाल को आज से एडवरटीज़मेंट बाबा कहा जाना चाहिए...दिल्ली की सरकार ने 'बिजनेस ब्लास्टर्स'स्कीम पर कुल 54 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। हालांकि, इसके विज्ञापन पर 80 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, 'सीएजी ने बताया कि योजना के विज्ञापन पर खर्च योजना के खर्च से 1.5 गुना ज़्यादा था... दूसरी योजना में 1.9 करोड़ रुपये खर्च किए गए। लेकिन विज्ञापन पर 27.9 करोड़ रुपये खर्च हुए।'
प्रोग्राम से 32 गुना ज्यादा हुआ खर्च
आगे एक और योजना के बारे में संबित पात्रा ने कैग की रिपोर्ट के हवाले से कहा, 'पराली मैनेजमेंट के लिए एक योजना चलाई गई थी जिस पर कुल 77 लाख रुपये खर्च किए जबकि विज्ञापन दिया 24 करोड़ रुपये का। यानी कि कार्यक्रम पर कुल खर्च का 32 गुना।'
इसके बाद बीजेपी सांसद ने सीएम के शीशमहल की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कैग कि रिपोर्ट के मुताबिक, '17 मार्च 2020 को दिल्ली के पीडब्ल्यूडी विभाग ने एक प्रस्ताव दिया कि अरविंद केजरीवाल के आवास को फिर से बनाने की जरूरत है। पीडब्ल्यूडी ने बिल्डिंग को ढहा कर उसमें एक और मंजिल जोड़ने के लिए कहा। चौंकाने वाली बाय यह है कि यह प्रस्ताव एक ही दिन में स्वीकार कर लिया गया।'
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू की एक रिपोर्ट से पता चला है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास, जिसे 'शीश महल' कहा जाता है, के नवीनीकरण की कुल लागत 33.66 करोड़ रुपये थी।
बंगले की टेंडर प्रक्रिया पर उठे सवाल
पात्रा ने कहा, 'रीमॉडलिंग की अनुमानित लागत 7.61 करोड़ रुपये थी। लेकिन टेंडर 8.62 करोड़ रुपये में आया, यानी टेंडर की लागत 13.21% अधिक थी...यह काम 2022 में 33.66 करोड़ रुपये की लागत से पूरा हुआ। यानी लागत की अनुमानित राशि से 342.31% अधिक थी। अरविंद केजरीवाल के 'शीशमहल' के लिए इतना बड़ा घोटाला किया गया...सीएजी ने टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।'
'शीश महल' को लेकर इस बात का विवाद है कि अरविंद केजरीवाल ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपने आधिकारिक आवास के नवीनीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च किए, यह वह समय था जब कई सार्वजनिक विकास परियोजनाएं रुकी हुई थीं।