जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के एक बयान पर देशभर में हंगामा बरपा है। उन्होंने कहा है कि आतंकियों को मारना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा है कि हाल ही में जम्मू और कश्मीर में जो हमले हुए हैं, उनमें वॉन्टेड आतंकियों को मारने की जगह, पकड़ना चाहिए और मास्टरमाइंड का पता लगाना चाहिए।
जम्मू और कश्मीर में इन दिनों, उन्हीं की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में है और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला इस केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि पकड़े गए आतंकी, इस नेटवर्क के बारे में विस्तृत जानकारियां दे सकते हैं। उन्होंने बड़गाम आतंकी हमले के छानबीन की मांग की और कहा कि यह उन लोगों की साजिश है, जो सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं।
'आतंकियों को मारें नहीं...'
फरूक अब्दुल्ला ने समाचार एजेंसी ANI के साथ बातचीत में कहा है, 'जम्मू और कश्मीर हमले की जांच होनी चाहिए। ऐसा कैसे हुआ कि एक सरकार आई और यह सब होने लगा। मुझे शक है कि यह उन लोगों द्वारा किया जा रहा है जो सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे थे। अगर वे पकड़े गए तो हमें पता चल जाएगा कि यह कौन कर रहा है। उन्हें मारा नहीं जाना चाहिए, उन्हें पकड़ा जाना चाहिए। हमें जांच करनी चाहिए कि क्या कोई एजेंसी है जो उमर अब्दुल्ला को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।' पत्रकारों ने सवाल किया कि क्या बड़गाम में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, उन्होंने जवाब दिया,'इसका कोई सवाल ही नहीं है। मैं कहूंगा कि इसकी जांच होनी चाहिए।'
फारूक अब्दुल्ला के बयान पर क्या बोले शरद पवार?
जब जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बयान पर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (SP) के अध्यक्ष शरद पवार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'फारूक अब्दुल्ला जम्मू और कश्मीर की सबसे बड़ी शख्सियत हैं। उन्होंने अपना जीवन जम्मू-कश्मीर के लोगों की सेवा में बिताया है। मुझे उनकी ईमानदारी और निष्ठा पर कोई संदेह नहीं है। अगर कोई नेता ऐसा कह रहा है तो केंद्र सरकार और गृहमंत्रालय इसे गंभीरता से ले और इस पर काम करने की कोशिश करे कि कैसे इस स्थिति को सुलझाए।'
बीजेपी ने क्या कहा?
जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष रविंदर रैना के कहा, 'फारूक अब्दुल्ला जानते हैं कि यह आतंकवाद पाकिस्तान से आ रहा है। यह एक सर्वविदित तथ्य है, इसमे जांच करने की क्या बात है। जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमलों में पाकिस्तान और आतंकी संगठन शामिल हैं, हमें सेना, पुलिस और सुरक्षाबलों का समर्थन करना चाहिए, हमें इंसानियत के दुश्मनों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।'
क्यों आतंकियों से हमदर्दी रखता है अब्दुल्ला परिवार?
उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि अफजल गुरु की फंसी में जम्मू-कश्मीर की भूमिका नहीं थी। अगर राज्य की मंजूरी की जरूरत होती तो हम नहीं देते, दुर्भाग्य से हमारी कोई भूमिका इसमें नहीं थी। मैं सजाए मौत में विश्वास नहीं करता, मैं नहीं मानता कि जज हमेशा सही होते हैं, कई बार फांसी की सजा दे देते हैं, बात में यह साबित होता है कि व्यक्ति निर्दोष था।' अफजल गुरु को 2001 में हुए संसद हमले में दोषी पाया गया था। 9 फरवरी 2013 को उसे फांसी दे दी गई थी। अफजल गुरु को एक बड़ा तबका निर्दोष मानता है। लोगों का कहना है कि उस पर गलत तरीके से आरोप मढ़े गए हैं।
उमर अब्दुल्ला या फारूक अब्दुल्ला का आतंकियों के प्रति यह रुख नया नहीं है। वे खुद को मानवतावादी बताते हैं और आतंकियों से भी बातचीत पर जोर देते हैं। जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे, तब भी फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि सीमाओं पर विवाद का हल, सिर्फ बातचीत है। दोनों देशों को युद्ध की जगह बातचीत से इसका हल निकालना चाहिए।