कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर अमेरिकी विदेश विभाग पर लगाए गए आरोपों की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी नेता बिना कुछ सोचे-समझे हमला बोल देते हैं। उन्होंने अंग्रेजी के एक टर्म 'अटैक डॉग मेंटैलिटी' का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा है कि यह रुख, भारत के लिए शर्मिंदगी की बात है।
शशि थरूर ने कहा, 'यह साफ है कि भाजपा न तो लोकतंत्र को समझती है, न कूटीनीति को। नेता तुच्छ राजनीति में इतने अंधे हो गए हैं कि वे लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस और स्वतंत्र नागरिक समाजिक संगठनों की जरूरत ही भूल जाते हैं। वे बेखबर हैं कि दुनिया के दूसरे अहम देशों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं, वे सत्तारूढ़ पार्टी की जिम्मेदारी भूल गए हैं। डॉग अटैकिंग मेंटैलिटी, शर्मिंदगी की बात है।' शशि थरूर पूर्व विदेश राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
BJP पर क्यों भड़के हैं थरूर?
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि राहुल गांधी ने गौतम अडानी समूह पर हमला करने के लिए OCCRP की रिपोर्ट का इस्तेमाल किया है। गुरुवार को उन्होंने कहा था कि अमेरिका के डीप स्टेट ने भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए मीडिया पोर्टल ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) और भारतीय विपक्ष के नेता के साथ मिलीभगत की।
OCCRP का हेडक्वार्टर एम्स्टर्डम में है। यह एक मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसका काम दुनिया में करप्शन को उजागर करना है। इसे सबसे ज्यादा फंड जॉर्ज सोरोस देते हैं। रॉकफेलर फाउंडेशन और अमेरिकी विदेश विभाग से भी इसे पैसे मिलते हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि OCCRP का 50 फीसदी हिस्सा अमेरिकी विदेश विभाग से आता है। OCCRP डीप स्टेट एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए एक मीडिया टूल के तौर पर काम करता है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया क्या थी?
अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने बीजेपी के इन बयानों को निराशाजनक बताया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी सरकार दुनियाभर में मीडिया की स्वतंत्रता की पक्षधर रही है। यह निराशाजनक है कि भारत की सत्तारूढ़ पार्टी ऐसे आरोप लगा रही है। अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा था, 'अमेरिकी सरकार पत्रकारों के लिए स्वतंत्रता की पक्षधर रही है। किसी भी पत्रिका के संपादकीय निर्णयों को हम प्रभावित नहीं करेत हैं।'
विवाद की वजह क्या है?
पिछले महीने अमेरिका में कुछ अधिकारियों ने गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर और कुछ अन्य लोगों पर सौर ऊर्जा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए 2020 और 2024 के बीच भारतीय सरकारी अधिकारियों को हजारों करोड़ देने का आरोप था। अडानी ने इन आरोपों को गलत बताकर खारिज कर दिया था।