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Year Ender 2024: सड़क से संसद तक क्या-क्या हुआ? पढ़ें 10 बड़ी घटनाएं

साल 2024 अब खत्म होने की ओर है। इस साल देश की सियासत में बहुत कुछ ऐसा हुआ जो कभी नहीं हुआ। लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक कई रिकॉर्ड बने। 2024 में क्या-क्या हुआ, आइए जानते हैं।

Year Ender 2024

प्रधानमंत्री मोदी का तीसरा कार्यकाल, देवेंद्र फडणवीस की वापसी, प्रियंका पहुंची संसद। (क्रिएटिव इमेज)

साल 2024। संसद से सड़क तक इस साल खूब बवाल हुए। संसद में कभी गौतम अडानी का मुद्दा छाया, कभी जॉर्ज सोरोस का। इन हंगामों से अलग देश की सियासत में ऐसा बहुत कुछ हुआ, जिसने दुनियाभर में सुर्खियां बिटोरीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार चुनकर सत्ता में आए तो कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनावी राजनीति से संन्यास ले लिया। 

कभी वायनाड न छोड़ने का वादा करने वाले राहुल गांधी ने वायनाड छोड़ दिया। प्रियंका गांधी को यहां से उतारा और संसद में पहली बार पहुंची। देवेंद्र फडणवीस की महाराष्ट्र में वापसी हुई और महा विकास अघाड़ी की बुरी हार हुई। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री से डिप्टी सीएम बन गए। राजनीति में और क्या-क्या हुआ, आइए समझते हैं।

1. नरेंद्र मोदी की तीसरी बार वापसी 
10 साल प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने के बाद तीसरी बार नरेंद्र मोदी सत्ता में आए। बीजेपी 235 सीटों पर आई और अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी। एनडीए ने 395 का आंकड़ा छू लिया। तेलगू देशम पार्टी (TDP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) की मदद से बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हुई। 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

2. AAP नेताओं की रिहाई
दिल्ली आबकारी केस में फंसे आम आदमी पार्टी के नेताओं के लिए यह साल अच्छा रहा। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जेल से बाहर निकला। 3 अप्रैल को संजय सिंह की रिहाई हुई। 17 महीने बाद 3 अगस्त को मनीष सिसोदिया रिहा हुए। 13 सितंबर को अरविंद केजरीवाल रिहा हुए। 2 साल बाद 17 अक्तूबर को सत्येंद्र जैन रिहा हुए। मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसने के बाद अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, उससे पहले मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने भी कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब जब तक चुनाव नहीं होते, वे सीएम पद से इस्तीफा देंगे। 21 सितंबर को उनकी जगह दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी बनीं। आतिशी, दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं।

3. हरियाणा में BJP की हैट्रिक
हरियाणा में कोई पार्टी लगातार 3 बार सत्ता में नहीं आई थी। मनोहर लाल खट्टर को बीजेपी ने केंद्र में बुलाया और नायब सैनी को कमान सौंपी। हरियाणा में अक्तूबर में जब नतीजे आए तो बीजेपी ने प्रंचड बहुमत से वापसी की। बीजेपी ने 48 सीटें हासिल कर ली। ऐसा माना जा रहा था कि मनोहर लाल खट्टर के बाद बीजेपी के पास हरियाणा में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। नायब सैनी बड़ा चेहरा साबित हुए और उन्होंने सत्ता विरोधी लहर को बेअसर कर दिया। हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से 5 कांग्रेस के खाते में कई थीं, 5 बीजेपी के। अटकलें लगीं कि बीजेपी के हाथ से सत्ता जाएगी, विधानसभा चुनावों के नतीजों ने साबित कर दिया कि बीजेपी राज्य में कमजोर नहीं हुई है। 

4. हेमंत सोरेन: जेल से बेल फिर ताजपोशी
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए यह साल अच्छा और बुरा दोनों रहा। ईडी ने जमीन घोटाले के सिलसिले में उन्हें 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। करीब 6 महीने बाद 28 जून को वे रिहा हुए। उन पर 8.86 एकड़ जमीन गलत तरीके से हासिल करने के आरोप हैं। जेल जाने से पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था। 2 फरवरी को चंपाई सोरेन ने सीएम पद की शपथ ली थी। 

हेमंत सोरेन वापस आए और उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा। इसी साल 4 जुलाई को उन्होंने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली। झारखंड में इसी साल विधानसभा चुनाव भी हुए। नतीजे 23 नवंबर को घोषित हुए और प्रचंड बहुमत से हेमंत सोरेन की वापसी हुई। उन्होंने 29 नवंबर को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब लगातार दूसरी बार झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार बनी है। 

5. देवेंद्र फडणवीस: लहरों की तरह सत्ता में लौटे
महाराष्ट्र की कमान एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस को सौंपी गई। उन्होंने महायुति की लंबी जद्दोजहद के बाद 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार भी डिप्टी सीएम बने।  साल 2014 में सीएम बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बन जाते अगर शिवसेना और बीजेपी की दोस्ती न टूटती। तत्कालीन उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने बीजेपी के साथ दोस्ती तोड़ ली थी और कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार में आ गई थी। 

देवेंद्र फडणवीस विपक्ष के नेता बने थे और साल 2019 में विधानसभा में कहा था कि मेरा पानी उतरता देख मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं लौटकर वापस आऊंगा। 2024 में चुनावी नतीजे आए और प्रचंड बहुमत से वह सत्ता में आए। महायुति ने उनके नेतृत्व में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। महायुति गठबंधन को 235 सीटें मिलीं, वहीं महा विकास अघाड़ी 50 सीटें भी हासिल नहीं कर पाई।

6. चंद्रबाबू नायडू की वापसी
चंद्रबाबू नायडू के बुरे दिन चल रहे थे। वे खुद जेल चले गए थे और सियासी जिंदगी अधर में थी। 1 नवंबर 2023 को जेल से रिहा हुए थे। कौशल विकास निगम से धन के दुरुपयोग में वे गिरफ्तार हुए थे। बीजेपी के साथ उनकी दोस्ती टूट चुकी थी। YS जगन मोहन रेड्डी ने उनकी पार्टी को इतना कमजोर कर दिया था कि वे सत्ता में आने की सोच तक नहीं पा रहे थे। पवन कल्याण उनकी जिंदगी में संकट मोचक बनकर आए। उन्होंने जन सेना पार्टी, बीजेपी और तेलगू देशम पार्टी का ऐसा मेल कराया कि इतिहास बन गया। 

राज्य की कुल 175 विधानसभा सीटों में से तेलगू देशम पार्टी ने 135 सीटों पर जीत हासिल की। जन सेना पार्टी ने 21 सीटें जीतीं और बीजेपी ने 8। इस गठबंधन की सरकार वहां काबिज है। पवन कल्याण डिप्टी सीएम बने और दक्षिण का एक और अभिनेता सफल नेता बना। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी तीसरी बार अगर सत्ता में बनी हुई है तो उसके पीछे चंद्रबाबू नायडू का भी हाथ है। टीडीपी के पास 16 सांसद हैं। 

7. सुपरस्टार विजय: अब पवन कल्याण की राह पर
दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार विजय थलापति ने अपनी राजनीतिक पार्टी इसी साल लॉन्च की। उन्होंने तमिलगा वेत्री कड़गम (TVK) पार्टी की पहली सियासी रैली 27 अक्तूबर को बुलाई। उनकी जनसभा में लाखों की भीड़ की। उनकी पार्टी तमिल राष्ट्रवाद पर आगे बढ़ेगी। उनकी पार्टी तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में पहला चुनाव लड़ेगी। उनकी पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता मिल गई है। उनकी पार्टी धर्म निरपेक्ष और सामाजिक न्याय की वकालत करेगी। अब देखने वाली बात यह है कि उनकी सियासी पारी पवन कल्याण की तरह हिट होती है या कमल हसन की तरह फ्लॉप। 

8. RSS का रूठना फिर मान जाना
जून 2024 में जब लोकसभा चुनावों के नतीजे आए तो एक बात की सबसे ज्यादा चर्चा हुई कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के बीच कुछ ठीक नहीं है। संघ बीजेपी के बड़े नेताओं से नाराज है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तो यहां तक कह दिया था कि अब उन्हें संघ की जरूरत नहीं है, बीजेपी के अपने कैडर बहुत काफी हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस बयान का ऐसा असर हुआ कि बीजेपी की सीटें अप्रत्याशित रूप से कम हो गईं। जेपी नड्डा के इस बयान का नुकसान सबसे ज्यादा यूपी में हुआ। 5 सीटों पर सिमटी सपा ने 43 सीटों पर जीत हासिल कर ली। खबरें चलीं कि अब संघ बीजेपी के साथ नहीं है। 

बीजेपी और संघ के नेताओं के बीच कई दौर की मुलाकातें हुईं। महाराष्ट्र की राजनीतिक के जानकार बताते हैं कि संघ ने कमान संभाली। नतीजा यह हुआ कि बीजेपी को अप्रत्याशित जीत मिली। 105 विधायकों से सीधे 135 पर बीजेपी पहुंच गई। बीजेपी अपने सहयोगी दलों पर निर्भर थी, अब इतनी मजबूत स्थिति में है कि सहयोगी दलों को बीजेपी के हिसाब से काम करना होगा। अब बीजेपी और संघ के बीच अनबन खत्म होने की बात कही जा रही है। 

9. संसद पहुंची प्रियंका गांधी
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी पर्दे के पीछे राजनीति करती रही हैं। अब वे देश की संसद में पहुंच गई हैं। साल 2019 में उन्हें पूर्वी यूपी की चुनावी कमान थमाई गई थी। कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। मुश्किल से बीजेपी अपनी ही सीट बचा पाई थी। सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ने से मना किया और राज्यसभा चली गईं। साल 2024 में ही लोकसभा चुनाव हुए। राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली से चुनाव लड़े। दोनों जगहों से उन्हें जीत मिली। राहुल गांधी ने वायनाड की सीट प्रियंका गांधी के लिए छोड़ दी। प्रियंका गांधी चुनावी राजनीति में उतरीं तो सफल भी हुईं। उन्होंने मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया। प्रियंका गांधी 410931 वोटों के अंतर से चुनाव जीती थीं।

10. सोनिया गांधी का चुनावी राजनीति से संन्यास
सोनिया गांधी ने चुनावी राजनीति से इसी साल संन्यास लिया। उन्होंने 15 फरवरी 2024 को ऐलान किया कि वे लोकसभा का चुनाव नहीं लडेंगी।  साल 1999 में सोनिया गांधी अमेठी से पहली बार सांसद बनीं थीं। रायबरेली उनकी पारंपरिक सीट रही है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अपनी मां की सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। सोनिया गांधी ने 4 अप्रैल 2024 को राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ लिया। राजस्थान से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सीट खाली होने के बाद उन्होंने नामांकन किया था। 

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