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अमरनाथ यात्रा: रजिस्ट्रेशन से रूट तक, सबकुछ जो जानना चाहते हैं आप

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अमरनाथ यात्रा के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा 38 दिनों तक कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चलेगी।

Amarnath Yatra

मोज सिन्हा, Photo Credit: Office of LG J&K

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल ने अमरनाथ तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को जम्मू आधार शिविर से कश्मीर के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कश्मीर में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए 38 दिनों की यह तीर्थ यात्रा कश्मीर घाटी के दो रास्तों से होकर जाएगी। इस यात्रा के लिए अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग है और दूसरा रास्ता गांदरबल जिले में बालटाल मार्ग है। यह रास्ता 14 किलोमीटर का है लेकिन इसमें ज्यादा चढ़ाई है। इस यात्रा का समापन 9 अगस्त को होगा।

 

अधिकारियों के अनुसार, इस साल अमरनाथ यात्रा के लिए अब तक तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन किया है। अधिकारियों ने बताया कि तीर्थयात्रा के लिए कश्मीर आने वाले श्रद्धालुओं का मौके पर ही पंजीकरण भी शुरू कर दिया गया है। पिछले दो दिनों में करीब 4,000 टोकन बांटे गए हैं। बिना रजिस्ट्रेशन के इस यात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।  ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करने के बाद यात्रियों को यात्रा परमिट दिया जाता है। 

 

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कब और कैसे होंगे दर्शन?

बाब बर्फानी के दर्शन करने के लिए यह यात्रा 38 दिनों तक चलेगी। 3 जुलाई से शुरू होकर इस यात्रा का समापन 9 अगस्त को होगा। यह यात्रा कुल 38 दिनों तक चलेगी और सावन पूर्णिमा के दिन इसका समापन होगा। इस यात्रा के समय मंदिर खुलने का समय सुबह 6 बजे है और शाम को 4 बजे मंदिर बंद होगा। इस यात्रा के लिए 13 साल से 75 साल की उम्र के बीच के लोग रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। हालांकि, उनको अपना फिटनेस प्रमाण पत्र जमा करवाना जरूरी होगा।

अमरनाथ यात्रा। (Photo Credit: PTI)

सुरक्षा के कड़े इंतजाम 

अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि श्रद्धालुओं को भारी सुरक्षा व्यवस्था, यातायात पाबंदियों और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के बीच पहलगाम और बालटाल आधार शिविरों तक पहुंचाया जाएगा। पहलगान हमले के बाद इस यात्रा में और ज्यादा कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षाबलों की कुल 581 कंपनियां कश्मीर में तैनात की गई हैं और पहलगाम और बालटाल रूट पर जगह-जगह पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। 

 

इस यात्रा के लिए रास्ते पर उच्च तकनीक वाले उपकरणों की तैनाती समेत कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। इस साल पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर चेहरा पहचानने वाली प्रणाली लगाई गई है। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा पिछले एक हफ्ते से आधार शिवरों का दौरा कर रहे हैं और तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे हैं।

 

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अमरनाथ यात्रा का महत्व

अमरमाथ मंदिर की गुफा के दर्शन के लिए लोग इसलिए इतनी कठिन यात्रा करते हैं क्योंकि माना जाता है कि इस गुफा की यात्रा करने से व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। माना जाता है कि इस गुफा में बर्फ से बनने वाली शिवलिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धूल जाते हैं। कई पुराणों जैसे बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण आदि में अमरनाथ यात्रा के महत्व का वर्णन मिलता है। शास्त्रों व पुराणों के अनुसार, अमरनाथ यात्रा करने वाले को 23 तीर्थों के दर्शन करने जितना पुण्य मिलता है।

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