Angarak Chaturthi : हिंदू पंचांग के अनुसार, आज अगहन कृष्ण चतुर्थी है। मंगलवार के दिन ये तिथि पड़ने की वजह से इसका नाम अंगारक चतुर्थी पड़ा है।आज के दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अगहन चतुर्थी का व्रत करते हैं। उनके घर में सुख- संपत्ति आती है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, चतुर्थी दिन के स्वामी भगवान गणेश है क्योंकि इस दिन भगवान गणेश प्रकट हुए थे। ज्योतिष में मंगल ग्रह को मंगलवार का कारक ग्रह माना गया है। त्रेता युग में मंगलवार के दिन भगवान हनुमान अवतरित हुए थे इसलिए हर मंगलवार को हनुमान जी और मंगल ग्रह की विशेष पूजा की जाती है। आइए जानते हैं अंगारक चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में।
ऐसे करें गणेश जी का अभिषेक
भगवान गणेश का सुगंधित जल और पंचामृत से अभिषेक करें। आप जल को सुगंधित बनाने के लिए जल में गुलाब, मोगरा जैसे सुगंधित फूल डालें और फिर इस जल से भगवान का अभिषेक करें। पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाएं। भगवान का अभिषेक करने के बाद गणेश जी को वस्त्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। इसके बाद जनेऊ चढ़ाएं। कुमकुम-गुलाल आदि चीजें चढ़ाएं। भगवान को दूर्वा अर्पित करें। लड्डूओं का भोग लगाएं। पूजा में ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लें। जो भी व्यक्ति चतुर्थी का व्रत करते हैं वो दिन भर निराहार रहते हैं। इसका मतलब है कि आपको पूरे दिन कुछ नहीं खाना है। शाम के समय में चंद्र देव के दर्शन और गणेश जी की पूजा के बाद व्रत खोला जाता है।
ऐसे करें मंगल ग्रह की पूजा
ज्योतिष में मंगल ग्रह को सेनापति कहा गया है। मंगल का जन्म स्थान उज्जैन है। इसलिए मंगल देव की माता भूमि देवी हैं। मंंगल ग्रह की पूजा शिवलिंग के रूप में होती है इसलिए अंगारक चतुर्थी के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। शिव जी पर पर बेलपत्र, लाल फूल, जनेऊ के साथ लाल गुलाल चढ़ाएं। भगवान शिव को मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें। मंगल के मंत्र ऊँ अं अंगारकाय नम: और ऊँ भौं भौमाय नम: का जप करें। मंगल ग्रह के लिए मसूर की दाल का भी दान कर सकते हैं।