वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से व्यक्ति को बुद्धि, विद्या और कला का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही यह दिन देवी सरस्वती की उत्पत्ति से संबंधित है और इससे जुड़ी पौराणिक कथा भी शास्त्रों में वर्णित है।
देवी सरस्वती से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मांड की रचना हुई थी, तब चारों ओर केवल अराजकता थी। भगवान ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की, तो उन्होंने मनुष्यों को बनाया, लेकिन वे मौन और निःशब्द थे। उनमें चेतना तो थी, लेकिन कोई वाणी नहीं थी, कोई संगीत नहीं था, जिससे सृष्टि में जीवन का उल्लास आ सके। यह देखकर ब्रह्मा जी चिंतित हो गए। तब उन्होंने भगवान विष्णु का आह्वाहन किया और श्री हरि प्रकट हुए। जब भगवान विष्णु को समस्या का ज्ञात हुआ तब उन्होंने ब्रह्मा जी देवी दुर्गा से सहायता मांगने का सुझाव दिया।
इसके बाद देवी दुर्गा प्रकट हुई और भगवान विष्णु व ब्रह्मा जी ने सहयता मांगी। तब देवी दुर्गा से श्वेत तेज वाली एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। यह शक्ति चार भुजाओं वाली एक दिव्य स्त्री थी, जिनके एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वरद मुद्रा में था। यही शक्ति ज्ञान, संगीत और कला की देवी सरस्वती थीं।
जैसे ही मां सरस्वती ने अपनी वीणा के तारों को छेड़ा, संपूर्ण संसार में ध्वनि गूंज उठी। इस दिव्य ध्वनि से न केवल मनुष्यों की वाणी प्राप्त हुई, बल्कि प्रकृति में भी स्वर गूंजने लगीं। बहते हुए जल की कलकल, पंछियों की चहचहाहट और हवा की सरसराहट ने नए जीवन का संचार किया, जिसमें ध्वनि का महत्व बढ़ गया। लोगों ने बातचीत की विधा सीखी और विद्या के महत्व को समझा। इस तरह देवी सरस्वती से संसार में ज्ञान, कला और संगीत का संचार हुआ।
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी का पर्व देवी सरस्वती के लिए इसलिए जाना जाता है क्योंकि उनसे ज्ञान और विद्या का संचार हुआ। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती की आराधना करने से भक्तों को ज्ञान, बुद्धि, धन और विद्या की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से विद्यार्थियों और कला क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं, जिसे ऊर्जा, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इसके साथ, बसंत पंचमी पर्व को वसंत ऋतु के शुभारंभ का प्रतीक माना जाता है। इस अवधि में प्रकृति में कई बदलाव होते हैं। साथ ही सरसों के खेतों में पीले फूल खिलते हैं, आम के पेड़ों में बौर लगते हैं और चारों ओर हरियाली छा जाती है। इस ऋतु को मधुमास भी कहा जाता है, क्योंकि यह प्रेम, सौंदर्य और नई शुरुआत का संकेत देता है।