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कौन हैं भगवान दत्तात्रेय, जिन्हें कहा जाता है त्रिदेवों का अवतार

वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 दिसंबर को भगवान दत्तात्रेय जयंती मनाई जाएगी। आइए जानते हैं उनके जन्म से जुड़ी कथा और महत्व।

Image of Bhagwan Dattatreya

भगवान दत्तात्रेय का काल्पनिक चित्र। (Pic Credit: Creative Image)

भारतवर्ष में कई साधु-संत व ऋषि-मुनियों का जन्म हुआ, जिनसे जुड़ी कई मान्यताएं व कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से कुछ ईश्वरीय शक्तियों से संपन्न थे और कुछ भगवान के अवतार मानें जाते हैं। इन्हीं में से एक हैं 'भगवान दत्तात्रेय'। मान्यताओं के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय हिंदू धर्म में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार कहे जाते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 दिसंबर 2024, शनिवार के दिन भगवान दत्तात्रेय जयंती मनाई जाएगी। आइए जानते हैं क्या है इस दिन का महत्व और कथा।

भगवान दत्तात्रेय के जन्म की कथा

एक कथा के अनुसार, एक बार नारद मुनि ने देवताओं में यह चर्चा फैलाई कि पृथ्वी पर सबसे पवित्र महिला अनसूया है। त्रिदेवों ने इसे जांचने के लिए माता अनसूया के पास साधुओं के रूप में जाकर उनसे निर्वस्त्र होकर भोजन मांगने की इच्छा जताई। माता अनसूया ने अपने तप और पवित्रता के बल पर त्रिदेवों को छह-छह माह के शिशु रूप में परिवर्तित कर दिया और उन्हें अपनी ममता से भोजन कराया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर त्रिदेवों ने उन्हें वरदान दिया कि वे तीनों उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। इस प्रकार दत्तात्रेय का अवतार हुआ।

 

श्रीमद्भगवत कथा के अनुसार, महर्षि अत्रि ने पुत्र प्राप्ति के लिए कठोर तप का पालन किया और इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं भगवान दत्तात्रेय के रूप में जन्म लिया। 

 

भगवान दत्तात्रेय को अद्वैत वेदांत का समर्थक कहे जाते हैं। उन्होंने तपस्या और साधना का मार्ग अपनाया। समय के साथ-साथ जब उनके आध्यात्मिक दर्शन का प्रचार-प्रसार हुआ तो उन्हें लोग भगवान मानकर पूजने लगे। भगवान दत्तात्रेय यह शिक्षा देते थे कि ईश्वर का अनुभव बाहरी आडंबर से नहीं, बल्कि आंतरिक साधना और ध्यान से होता है।

 

भगवान दत्तात्रेय को योग, ज्ञान और तप का प्रतीक भी माना जाता है। उन्होंने ब्रह्मज्ञान और साधना के माध्यम से कई लोगों को सत्य का मार्ग दिखाया। दत्तात्रेय ने अपनी शिक्षाओं से यह बताया कि ज्ञान हर जगह है, हमें उसे ग्रहण करने की दृष्टि विकसित करनी चाहिए। भगवान दत्तात्रेय ने दीर्घकाल तक पृथ्वी पर रहकर मानवता की सेवा की। उनकी मृत्यु के बारे में कोई निश्चित कथा नहीं है, क्योंकि वे अवतार माने जाते हैं और कहा जाता है कि उन्होंने अपनी देह को त्यागकर दिव्य स्वरूप धारण कर लिया था।

दत्तात्रेय जयंती पूजा महत्व

प्रत्येक वर्ष दत्तात्रेय जयंती भगवान दत्तात्रेय के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर उनकी पूजा करने से साधक को आत्मज्ञान, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। भक्त इस अवसर पर व्रत, ध्यान और भजन-कीर्तन करते हैं, जिससे न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन आता है। दत्तात्रेय जयंती पर किए गए दान, ध्यान और सेवा का विशेष पुण्य माना जाता है। माना यह भी जाता है कि इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को त्रिदेवों की उपासना का फल प्राप्त होता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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