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संभल और भगवान कल्कि का नाता क्या है? समझिए कहानी

संभल का भगवान कल्कि के अवतरण से विशेष संबंध है, इसका वर्णन श्रीमद्भागवत पुराण में भी मिलता है। पढ़िए यह रोचक कथा।

Image of Bhagwan Kalki

भगवान कल्कि का प्रतीकात्मक चित्र (Pic Credit: Creative Image)

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में स्थित संभल, एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी है। पौराणिक कथाओं व धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान का वर्णन विशेष रूप से किया गया है। हालही में संभल में स्थित जामा मस्जिद के सर्वेक्षण में गई टीम पर हुए पथराव और पुलिस व दूसरे पक्ष के बीच हुए झड़प ने इस स्थान को फिर एक बार चर्चा में ला दिया है।

 

संभल को भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि से जोड़ा जाता है। पुराणों और ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान विष्णु कलियुग के अंत में कल्कि अवतार के रूप में जन्म लेंगे और उनका जन्मस्थान संभल होगा। संभल का नाम पुरातन समय से धार्मिक ग्रंथों में आता है। श्रीमद्भागवत महापुराण के 12वें सर्ग के अध्याय 2 के 18वें श्लोक में यह बताया गया है कि-

 

शंभलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मन:।
भवने विष्णुयशस: कल्कि: प्रादुर्भविष्यति।।

 

अर्थात- भगवान कल्कि शम्भल ग्राम के सबसे प्रतिष्ठित ब्राह्मण विष्णुयशा के घर में प्रकट होंगे।

 

इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए यहां भगवान कल्कि का मंदिर स्थित है, जो श्रद्धालुओं और भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर द्वारा कराया गया था और यह मंदिर भगवान विष्णु के 24वें अवतार के प्रतीक के रूप में बनाया गया है। मंदिर का निर्माण शास्त्रीय हिंदू वास्तुकला के अनुरूप किया गया है, जिसमें देवी-देवताओं की मूर्तियां और नक्काशियां शामिल है। मंदिर में कल्कि भगवान की मूर्ति स्थापित है, जो उन्हें एक घोड़े पर सवार और तलवार के साथ दर्शाती है। यह कल्कि अवतार के उस स्वरूप को दर्शाता है, जिसमें वे अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना करने आएंगे।

भगवान कल्कि के अवतरण की कथा

श्रीमद्भागत महापुराण के अनुसार, जो चार युगों में कलियुग को सबसे अधम कहा जाता है। इस युग में लोग भौतिक सुखों में लिप्त होकर धर्म, सत्य और नैतिकता से विमुख हो जाएंगे। जैसे-जैसे कलियुग का समय बीतेगा, धरती पर अत्याचार अपने चरम पर पहुंच जाएगा। सभी लोग पाप कर्मों में लिप्त होते रहेंगे। उस समय गुरु शिष्य की परंपरा का नाश हो हो जाएगा, लोगों में ज्ञान का आभाव होगा, संस्कारों से लोग विमुख हो जाएंगे। तब सृष्टि में अधर्म को मिटाने और धर्म की स्थापना के लिए भगवान कल्कि का अवतरण होगा। 

 

भगवान कल्कि का अवतरण उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान में सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि होगा, जब  गुरु, सूर्य और चंद्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। महापुराण में उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति बताया गया है। कल्कि भगवान सफेद घोड़े पर सवार होकर, हाथ में चमचमाती तलवार लिए, अधर्म और अन्याय का नाश करेंगे। वे पृथ्वी को दुष्टों से मुक्त करेंगे और धर्म की स्थापना के लिए एक नए युग सतयुग की शुरुआत करेंगे।

 

कथा के अनुसार, भगवान कल्कि के पास सप्तर्षि और अन्य दिव्य शक्तियां होंगी, जो उनकी सहायता करेंगी। उनके अवतार का उद्देश्य केवल अधर्म का नाश करना ही नहीं, बल्कि एक नए युग की नींव रखना भी है, जहां सत्य और धर्म की प्रधानता होगी।

क्या है भगवान कल्कि और संभल विवाद से संबंध?

संभल की जामा मस्जिद को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब एक स्थानीय याचिका में दावा किया गया कि यह मस्जिद एक प्राचीन हिंदू मंदिर, श्री हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। हिंदू पक्ष का कहना है कि इस स्थान का संबंध भगवान कल्कि के अवतार से है, और बाबर ने 1529 में इस मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनवाई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद एक ऐतिहासिक और संरक्षित स्मारक है।  बता दें कि चंदौसी की अदालत में दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया और इसी दौरान तनाव बढ़ गया।

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