आस्था और विज्ञान का संगम कहे जाने वाले चंद्रग्रहण को लेकर देशभर में उत्सुकता रहती है। हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार चंद्रग्रहण की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब अमृत कलश निकला तो असुर राहु ने वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठकर अमृत पी लिया। सूर्य और चंद्रमा ने उसकी चाल पहचान ली और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया लेकिन अमृत पान करने के कारण राहु अमर हो गया। तभी से राहु सूर्य और चंद्रमा से शत्रुता रखता है और जब भी वह चंद्रमा पर अपनी छाया डालता है तो चंद्रग्रहण लगता है।
वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती, तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह घटना केवल पूर्णिमा को ही संभव है। चंद्रग्रहण तीन प्रकार का होता है, पूर्ण, आंशिक और उपच्छाया। इस वर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रविवार 7 सितंबर 2025 को खग्रास चंद्रग्रहण पड़ रहा है। यह भारत में दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, अंटार्कटिका और हिंद महासागर में भी दिखेगा।
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खग्रास चंद्रग्रहण 2025 का समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, खग्रास चंद्रग्रहण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 7 सितम्बर 2025 को पड़ रही है। खग्रास चंद्रग्रहण की शुरुआत, 7 सितम्बर को रात के 9:50 मिनट से होगी और इसका समापन 8 सितम्बर की रात को 1:30 मिनट पर होगा।
- उपच्छाया से पहला स्पर्श - 7 सितम्बर की रात को 08:50 मिनट पर होगा।
- उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 8 सितम्बर की रात को 02:30 मिनट पर होगा।
- प्रच्छाया से पहला स्पर्श - 7 सितम्बर की रात को 09:58 मिनट पर होगा।
- प्रच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 8 सितम्बर की रात को 01:26 मिनट पर होगा।
सूतक काल का समय
- सूतक प्रारम्भ - 7 सितम्बर की रात को 12:10 मिनट से शुरू होगा।
- सूतक समाप्त - 8 सितम्बर की रात को 01:30 मिनट पर समाप्त होगा।
- चन्द्र ग्रहण का परिमाण - 1.36 , यह 1.36 के परिमाण का पूर्ण चंद्र ग्रहण है, इसीलिये परमग्रास ग्रहण के दौरान चन्द्रमां पृथ्वी की प्रच्छाया से पूर्ण रूप से छिप जायेगा। ऐसे में चंद्रमा आंशिक रूप से लाल रंग का दिखाई देगा।
- उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण - 2.34
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चंद्रग्रहण क्यों लगता है? (वैज्ञानिक दृष्टि से)
- चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। यह तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है।
- सूर्य की किरणें सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पातीं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ जाती है।
- यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव है।
चंद्रग्रहण तीन प्रकार का होता है
- पूर्ण चंद्रग्रहण – जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाए।
- आंशिक चंद्रग्रहण – जब चंद्रमा का कुछ हिस्सा छाया में हो।
- उपच्छाया चंद्रग्रहण – जब चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया से गुजरता है।
चंद्रग्रहण के समय ध्यान रखने योग्य बातें (मान्यता अनुसार)
- ग्रहण के दौरान मंत्र जाप और ध्यान को अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उन्हें बाहर न निकलने और तेज वस्तुओं का प्रयोग न करने को कहा जाता है।
- भोजन ग्रहण करना वर्जित माना जाता है।
- कई लोग ग्रहण से पहले पका हुआ भोजन हटाकर रखते हैं और उस पर तुलसी पत्र रखते हैं, जिससे वह दूषित न हो।
- ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और घर की शुद्धि की जाती है।