छठ पूजा एक प्राचीन और महत्वपूर्ण पर्व है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया (उषा देवी) की आराधना के लिए समर्पित है। छठ पूजा की मान्यता, व्रत की प्रक्रिया इस पर्व को और भी खास बना देती है। छठ पूजा का उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त करना और परिवार में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और दीर्घायु सुनिश्चित करना है।
मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। मान्यता है कि सूर्य देव और छठी मैया की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व दीपावली के बाद आता है और चार दिन तक चलता है। इसे सूर्य देव को अर्घ्य देने और प्राकृतिक तत्वों का सम्मान करने के रूप में भी देखा जाता है।
यह भी पढ़ें: 21 अक्टूबर या 22 अक्टूबर, किस दिन मनाई जाएगी गोवर्धन पूजा? जानिए मुहूर्त
छठ पूजा 2025 कब है?
नहाय खाय- वैदिक पंचांग के अनुसार, नहाय खाय 25 अक्टूबर 2025 के दिन किया जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 25 अक्टूबर 2025 के दिन सुबह 06:28 मिनट पर सूर्योदय होगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 25 अक्टूबर 2025 के दिन शाम को 05:42 मिनट पर सूर्यास्त होगा।
लोहंडा और खरना- वैदिक पंचांग के अनुसार, लोहंडा और खरना 26 अक्टूबर 2025 के दिन किया जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 26 अक्टूबर 2025 के दिन सुबह 06:29 मिनट पर सूर्योदय होगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 26 अक्टूबर 2025 के दिन शाम को 05:41 मिनट पर सूर्यास्त होगा।
छठ पूजा, सन्ध्या अर्घ्य- वैदिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा, सन्ध्या अर्घ्य 27 अक्टूबर 2025 के दिन किया जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 27 अक्टूबर 2025 के दिन सुबह 06:30 मिनट पर सूर्योदय होगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 27 अक्टूबर 2025 के दिन शाम को 05:40 मिनट पर सूर्यास्त होगा।
यह भी पढ़ें: बांके बिहारी का खजाना खुला, क्या क्या निकला?
उषा अर्घ्य, पारण का दिन - वैदिक पंचांग के अनुसार, उषा अर्घ्य, पारण 28 अक्टूबर 2025 के दिन किया जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 28 अक्टूबर 2025 के दिन सुबह 06:30 मिनट पर सूर्योदय होगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 28 अक्टूबर 2025 के दिन शाम को 05:39 मिनट पर सूर्यास्त होगा।
छठ पूजा का व्रत कैसे रखा जाता है
- छठ पूजा का व्रत निर्जला (बिना पानी के ) रखा जाता है।
- पहले दिन (नहाय-खाय) व्रती गंगा या किसी भी नदी के जल से स्नान करते हैं और शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं।
- दूसरे दिन (खरना) व्रती पूरे दिन उपवास रहते हैं और सूर्यास्त के समय खीर, फल और रोटी का सेवन करते हैं।
- तीसरे दिन (संध्या अर्घ्य) व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
- चौथे दिन (उषा अर्घ्य) व्रती सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए अपने व्रत का समापन करते हैं।
छठ पूजा की विशेषताएं
- यह पर्व प्राकृतिक तत्त्वों और सूर्य देव की आराधना के लिए प्रसिद्ध है।
- छठ पूजा में सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों समय अर्घ्य दिया जाता है, जिससे यह अन्य पर्वों से अलग और विशिष्ट बनता है।
- व्रत करने वाले पूरी श्रद्धा और संयम के साथ रहते हैं।
- यह पर्व परिवार और समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी मजबूत करता है।
- इस दिन नदी, तालाब या अन्य जल स्रोतों के किनारे सजावट और दीप जलाने की परंपरा होती है।