ज्योतिष शास्त्र में यह बताया गया है कि सभी ग्रह एक अवधि के बाद राशि परिवर्तन करते हैं, जिसका प्रभाव देश और दुनिया में चल रही गतिविधियों के साथ-साथ सभी राशियों पर भी दिखाई देता है। इन सभी राशि परिवर्तन में सूर्य गोचर का अपना एक विशेष महत्व है। बता दें कि सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य एक माह के अंतराल पर राशि परिवर्तन करते हैं और 15 दिसंबर को अगला राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं।
धनु संक्रांति 2025 कब?
वैदिक पंचांग के अनुसार, धनु संक्रांति व्रत 15 दिसंबर 2024, रविवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन पुण्य काल का समय दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से शाम 05 बजकर 26 मिनट के बीचे रहेगा और महा पुण्य काल दोपहर 03 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा।
धनु संक्रांति का क्या है महत्व?
धनु संक्रांति के दिन पूजा-पाठ का अपना एक विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनु संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान, जरूरतमंद लोगों में दान और पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। स्कंद पुराण में संक्रांति के महत्व और इस दौरान किए गए धार्मिक कार्यों के फल का विस्तृत वर्णन है। इसमें कहा गया है कि धनु संक्रांति पर गंगा स्नान, पूजा, और दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है।
धनु संक्रांति के दिन किन बातों का रखें ध्यान?
धनु संक्रांति पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए समर्पित है। इसलिए इस विशेष दिन पर सुबह जल्दी-उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। संभव हो तो पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए या पानी में गंगा-जल मिलाकर स्नान कर लें। ऐसा करना शुद्धिकरण का हिस्सा माना जाता है। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लौटे या ग्लास में जल, रोली और अक्षत डालकर अर्घ्य प्रदान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इस विशेष दिन पर खान-पान का ध्यान रखना चाहिए और जितना संभव हो सके उतना सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से इस दिन की पवित्रता बनी रहती है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।