सनातन धर्म में देवी-देवताओं की उपासना में विभिन्न तरह के विधि-विधान का पालन किया जाता है। इनमें भोग अर्पित करना, मंत्र जाप करना आदि शामिल हैं। इन्हीं में से दो हैं 56 भोग और 108 संख्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ये दोनों ही आध्यात्मिक साधना और ईश्वर भक्ति से जुड़े हैं।
इन दोनों संख्या के पीछे न सिर्फ धार्मिक आस्था है, बल्कि इनमें गहरी गणितीय और वैदिक रहस्य भी छिपे हैं। आइए समझते हैं कि क्यों भगवान को 56 प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं और मंत्र जाप में 108 संख्या का क्या रहस्य है।
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56 भोग का रहस्य
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान को 56 प्रकार के व्यंजन यानी 'छप्पन भोग' अर्पित किए जाते हैं। यह परंपरा विशेष रूप से भगवान कृष्ण से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण बाल रूप में गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर सात दिनों तक बरसात से ब्रजवासियों की रक्षा कर रहे थे, तब उन्होंने इन सात दिनों में एक बार भी भोजन नहीं किया। उनके भक्तों ने जब यह देखा तो उन्हें चिंता हुई कि प्रभु ने इतने समय तक कुछ खाया नहीं।
जब बरसात रुकी और गोवर्धन को नीचे रखा गया, तो सभी भक्तों ने मिलकर 8 पहर के हिसाब से भगवान को 7 दिन के भोजन का योग तैयार किया। एक दिन में 8 पहर होते हैं, और हर पहर में भगवान को 1 भोग अर्पित किया गया। इस प्रकार 7 दिन में 8 पहर × 7 = 56 भोग का आयोजन हुआ। तब से यह परंपरा चली आ रही है।
56 भोग में मुख्यत मीठा, नमकीन, फल, अनाज, पकवान, मिठाई, पेय पदार्थ आदि शामिल होते हैं। यह भक्ति की भावना का प्रतीक है, जहां भक्त अपने आराध्य को सर्वोत्तम अर्पण करना चाहता है। यह अर्पण केवल भोजन का नहीं, बल्कि प्रेम और समर्पण का भी होता है।
108 मंत्र जाप का रहस्य
हिंदू धर्म में जाप माला में 108 मनकों का उपयोग किया जाता है और मंत्रों का जाप भी 108 बार करना शुभ माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक और खगोलीय कारण हैं।
वैदिक गणना: प्राचीन ऋषियों ने ध्यान और साधना के समय 108 संख्या को विशेष बताया। यह ब्रह्मांडीय गणना से जुड़ी है। हमारे शरीर में 108 ऊर्जा केंद्र होते हैं जो हृदय से जुड़े होते हैं। मंत्र जाप से यह ऊर्जा सक्रिय होती है।
खगोलीय रहस्य: पृथ्वी से सूर्य और चंद्रमा की औसत दूरी पृथ्वी के व्यास से 108 गुना है। सूर्य का व्यास भी पृथ्वी के व्यास का 108 गुना है। यह संयोग नहीं बल्कि ब्रह्मांडीय गणित का अद्भुत रहस्य है, जिसे प्राचीन ऋषियों ने समझा।
अंक विद्या: 108 अंक में 1 ब्रह्म, 0 शून्यता और 8 अनंतता का प्रतीक है। इसे आत्मा और परमात्मा के मिलन का सूचक माना गया है।
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मंत्र जाप से जुड़ा धार्मिक महत्व
मंत्रों के जाप से मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 108 बार जाप करने से मंत्र की शक्ति जागृत होती है और साधक की एकाग्रता बढ़ती है। यह मन, वाणी और कर्म को शुद्ध करने का माध्यम है।
कुछ प्रमुख मंत्र
'ॐ नमः शिवाय' – भगवान शिव का मंत्र
'ॐ विष्णवे नमः' – भगवान विष्णु का मंत्र
'ॐ श्री गणेशाय नमः' – गणपति मंत्र
'ॐ दुर्गायै नमः' – मां दुर्गा का मंत्र
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।