भारत में विभिन्न राज्यों में कई ऐसे मठ-मंदिर स्थापित हैं, जिनका अपना एक पौराणिक इतिहास और महत्व है। इन्हीं में से उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां कई ऐसे मठ-मंदिर हैं, जिनके साथ किसी न किसी प्रकार की पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं। इन्हीं में से है गुप्त कशी, जिन्हें भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है।
गुप्तकाशी उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, जिसे भगवान शिव की नगरी और काशी का प्रतीक माना जाता है। इसका उल्लेख पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, और इसे विशेष रूप से केदारखंड के रूप में वर्णित किया गया है। गुप्तकाशी का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि मान्यता है कि भगवान शिव ने केदारनाथ जाने से पहले कुछ समय के लिए यहां गुप्त रूप से निवास किया था।
गुप्त कशी की पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों को अपने परिजनों और गुरुजनों की हत्या के पाप का बोध हुआ। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए वे भगवान शिव की शरण में गए। हालांकि, भगवान शिव उनसे नाराज थे और उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे। इस कारण शिव ने काशी छोड़कर हिमालय की ओर प्रस्थान किया और गुप्त रूप से गुप्तकाशी में निवास करने लगे।
पांडवों ने उनकी खोज करते हुए गुप्तकाशी तक पहुंचने का प्रयास किया। लेकिन भगवान शिव ने फिर से खुद को वहां से छिपा लिया और केदारनाथ के पास चले गए। यह भी कहा जाता है कि गुप्तकाशी वही स्थान है जहां भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह का प्रस्ताव स्वीकार किया था। यही कारण है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
काशी के समान है इस स्थान का महत्व
गुप्तकाशी का महत्व काशी (वाराणसी) के समान माना जाता है। यहां का विश्वनाथ मंदिर स्थापित हैं जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर का ही स्वरूप माना जाता है। इसके अलावा, गुप्तकाशी में अर्धनारीश्वर मंदिर भी है, जो शिव और शक्ति के अद्वितीय स्वरूप का प्रतीक है।
मान्यताओं के अनुसार, गुप्तकाशी धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। यह अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम स्थल के पास स्थित है, जिसे पवित्र माना जाता है। यहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना और ध्यान के लिए आते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहां की गई प्रार्थनाएं मोक्ष प्राप्ति में सहायक होती हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।