रामायण कथा के अनुसार, हनुमान जी महानायक और भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। उन्हें हिंदू धर्म में एक शक्ति, भक्ति और बल के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। हनुमान जी की भक्ति में किसी भी भक्त का अधिकार समान है, चाहे वह पुरुष हो या महिला लेकिन समाज में एक प्रचलित मान्यता है कि महिलाओं को हनुमान जी की प्रतिमा को स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसके पीछे धार्मिक और पौराणिक क्या मान्यता है, आइए जानते हैं।
पौराणिक मान्यता क्या है?
हनुमान जी को 'बाल ब्रह्मचारी' माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्होंने अपने पूरे जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन किया और स्वयं को भगवान श्रीराम की सेवा में समर्पित कर दिया। ब्रह्मचर्य का पालन करने के कारण वे स्त्रियों के प्रति आकर्षण से दूर रहे और उनकी भक्ति, सेवा और शक्ति केवल भगवान राम और धर्म के लिए समर्पित रही। इस कारण यह मान्यता बनी कि महिलाएं हनुमान जी को स्पर्श न करें, जिससे उनके ब्रह्मचर्य व्रत का उल्लंघन न हो।
धार्मिक मान्यता क्या है?
धार्मिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि हनुमान जी का स्वरूप ऊर्जा और शक्ति का केंद्र है। धर्म ग्रंथों में महिलाएं, विशेष रूप से विवाहित महिलाएं, लक्ष्मी स्वरूपा मानी जाती हैं और वे सौम्यता की प्रतीक बताया गया है। साथ ही वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं। वहीं भगवान हनुमान जी अविवाहित हैं और सनातन परंपरा के अनुसार ब्रह्मचारी व्यक्ति को स्त्री का स्पर्श भी वर्जित होता है। जिस वजह से महिलाओं को बिना स्पर्श किए उनकी पूजा करने की सलाह दी जाती है। साथ ही महिलाएं हनुमान जी के चरणों में फूल और प्रसाद चढ़ाकर या उनकी कथा सुनकर उनसे आशीर्वाद ले सकती हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।