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5 भारतीय परंपराएं जिनके सामने विज्ञान ने भी टेके घुटने

भारतीय संस्कृति में विभिन्न परंपराओं का पालन किया जाता है। इनके पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी बताए जाते हैं। जानते हैं-

Hinduism and Science

इन हिन्दू परंपराओं के पीछे छिपा है वैज्ञानिक तर्क। (Pic Credit- Freepik)

भारतीय संस्कृति में वैदिक परंपराओं का विशेष महत्व है। यहां हर क्षेत्र की अपनी एक विशेष परंपरा है, जिनका पालन प्राचीन काल से किया जा रहा है। इनमें से कुछ परंपराएं ऐसी हैं जिनका पालन किया जाता है, जिसमें अधिकांश लोगों द्वारा किया जाता है। इसमें पैर छूकर आशीर्वाद लेना, हाथ जोड़कर नमस्कार करना, महिलाओं द्वारा मांग में सिंदूर भरना आदि शामिल है। लेकिन इनका केवल अध्यात्म से ही जुड़ाव नहीं है, बल्कि इनके पीछे वैज्ञानिक तर्क भी छिपे हुए हैं। आइए जानते हैं भारत की कुछ ऐसी परंपराएं जिनके पीछे छिपे हैं वैज्ञानिक तर्क।

हाथ जोड़कर नमस्कार करना

जब भी हम अपने से बड़े या किसी अन्य व्यक्ति से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। यह केवल आदर भाव प्रतीक नहीं है बल्कि विज्ञान में इसके पीछे छिपे साइंस को विस्तार से बताया है। विज्ञान कहता है कि हाथ जोड़ने के बाद उंगलियों के एक दूसरे के स्पर्श से पैदा होने वाला एक्यूप्रेशर व्यक्ति के आंख, कान और दिमाग पर अच्छा प्रभाव डालता है। इससे कई समस्याएं दूर रहती हैं।

पैर छूकर आशीर्वाद लेना

हिन्दू धर्म में पैर छूने की परंपरा का पालन प्राचीन काल से किया जा रहा है। वर्तमान समय में भी कई लोगों द्वारा ऐसा किया जाता है। कहते हैं कि पैर छूकर आशीर्वाद लेने से न केवल पीठ से संबंधित समस्याएं दूर रहती है, बल्कि इससे मस्तिष्क से निकलनेवाली ऊर्जा हाथों से होकर सामने वाले पैरों तक जाती है। इससे पूरा एक चक्र पूरा होता है और सकारात्मकता बनी रहती है।

ललाट पर तिलक लगाना

हिन्दू धर्म में पूजा के समय माथे पर तिलक लगाने की परंपरा का पालन वैदिक काल से किया जा रहा है। विज्ञान में भी इसके पीछे छिपे रहस्य को बताया गया है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि कुमकुम तिलक माथे पर लगाने से आंखों के बीच वाली नस दबती है, जो एक ऊर्जा को पैदा करती है। इससे मस्तिष्क को बहुत लाभ मिलता है, जिससे संबंधित कई परेशानियां दूर रहती हैं। साथ ही इससे चेहरे की कोशिकाओं में ब्लड सर्कुलेशन निरंतर बना रहता है।

कर्णभेद करने के पीछे का विज्ञान

भारतीय संस्कृति में कर्णभेद यानी कान छिदवाने की परंपरा भी शामिल है। शास्त्रों के साथ विज्ञान में भी इसके लाभ को विस्तार से बताया गया है। कहा जाता है कि कर्णभेद करने से व्यक्ति के सोचने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही कर्णभेद करने से बोली अच्छी होती है और कानों से दिमाग तक जानेवाली नस में ब्लड सर्कुलेशन सक्रिय रहता है।

उपवास रखने के फायदे

हिन्दू धर्म में उपवास रखने की परंपरा का पालन प्राचीन काल से किया जाता है। मान्यता है कि उपवास रखने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लेकिन आयुर्वेद में भी उपवास के महत्व को विस्तार से बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, उपवास रखने से पाचन अच्छा रहता और एक शोध में यह बताया गया था कि इससे दिल की बीमारियां और डायबटीज बीमारी का खतरा भी दूर रहता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक, धार्मिक आस्थाओं और आयुर्वेद विज्ञान पर आधारित हैं. Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता.

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