नवरात्रि का पर्व देशभर में मां दुर्गा की शक्ति और नौ स्वरूपों की उपासना का विशेष अवसर माना जाता है। यह उत्सव नौ दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन देवी के अलग-अलग रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना से जीवन में शक्ति और स्थिरता आती है, तो दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी का पूजन तप, संयम और बुद्धि की वृद्धि का वरदान देता है। तीसरे दिन चंद्रघंटा का पूजन भय निवारण और साहस बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसी तरह नौ दिनों की देवी के नौ अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है।
इन नौ दिनों में कलश स्थापना, दुर्गा सप्तशती पाठ और विशेष मंत्रों का जाप करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हर दिन देवी का अलग बीज मंत्र और भोग भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग खोलता है। नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि आत्मिक शक्ति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का उत्सव भी है।
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9 दिन कैसे करें 9 अलग-अलग देवी की उपासना
पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। उन्हें घी का भोग लगाएं और लाल या पीले फूल अर्पित करें। इससे आयु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ इस मंत्र का जप करें
दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की आराधना होती है। इन्हें चीनी या मिश्री का भोग लगाएं और सफेद वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। यह तपस्या और संयम की शक्ति देती हैं।
मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥ पूजा के दौरान इस मंत्र का जप करें।
तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा करें। दूध से बने व्यंजन का भोग अर्पित करें और सुनहरे या सफेद फूल चढ़ाएं। इनकी पूजा से भय और शत्रु बाधा दूर होती है।
मंत्र: ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः॥ पूजा करते समय इस मंत्र का जप करें।
चौथे दिन माता कूष्मांडा की आराधना करें। इन्हें मालपुआ या मीठे व्यंजन का भोग चढ़ाएं। इनकी पूजा से रोग मुक्ति और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
मंत्र: ॐ देवी कूष्मांडायै नमः॥ इस मंत्र के जप के साथ पूजा करें
पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा होती है। इन्हें केले का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इनकी आराधना से संतान सुख और परिवार में शांति आती है।
मंत्र: ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥ इस मंत्र के जप से पूजा पूरी करें
छठे दिन माता कात्यायनी की आराधना करें। इन्हें शहद का भोग अर्पित करें और लाल वस्त्र पहनना शुभ है। यह विवाह योग और इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी हैं।
मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ पूजा के करते समय इस मंत्र को पढ़ें।
सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा होती है। इन्हें गुड़ और धान (जौ) का भोग अर्पित करें। यह देवी शत्रु विनाश और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करती हैं।
मंत्र: ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥ पूजा के दौरान इस मंत्र का जप करें।
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आठवें दिन माता महागौरी की आराधना करें। इन्हें नारियल या हलवे का भोग अर्पित करें। इनकी पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
मंत्र: ॐ देवी महागौर्यै नमः॥ इस मंत्र के साथ पूजा पूर्ण करें।
नवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन्हें तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं और कमल के फूल अर्पित करें। ये सिद्धियां प्रदान करने वाली और सफलता की देवी हैं।
मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥