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'जब देखो, तब रथयात्रा,' इस्कॉन पर जगन्नाथ प्रशासन के भड़कने की कहानी

जगन्नाथ मंदिर 12वीं सदी का प्राचीन मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यही मंदिर, भगवान जगन्नाथ का असली मंदिर है। यहीं से हर साल वार्षिक रथयात्रा निकलती है। इस्कॉन अलग से अपनी रथ यात्रा निकालता है।

Jagannath Rath Yatra

पुरी जगन्नाथ मंदिर। (Photo Credit: PTI)

ओडिशा के पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन और ISKCON में रथ यात्रा को लेकर ठन गई है। जगन्नाथ प्रशासन का कहना कि ISKCON दुनियाभर में भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा और रथ यात्रा निकालता है लेकिन शास्त्रीय परंपराओं और मर्यादाओं का पालन नहीं करता है। जगन्नाथ प्रशासन का कहना है कि इस्कॉन के इस कदम से लाखों भक्तों की भावनाएं आहत होती हैं। 

जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने इस्कॉन को 100 पेज का एक नोटिस भेजा है। पत्र में शास्त्रीय नियमों का जिक्र किया गया है। कुछ शास्त्रीय संदर्भ भी दिए गए हैं, जिनमें बताया गया है कि कब-कब रथयात्रा निकाली जा सकती है। जगन्नाथ मंदिर प्रशासन का कहना है कि अगर इस्कॉन ने इन धार्मिक नियमों का पालन नहीं किया तो मंदिर प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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रथयात्रा क्या है?

पुरी का 12वीं सदी का मंदिर भगवान जगन्नाथ का मूल पीठ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ वह पूजे जाते हैं। यहां की रथ यात्रा में लाखों भक्त शामिल होते हैं। यह रथ यात्रा हर साल निकलती है। 

रथयात्रा कब से कब तक होती है?

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होती है और अगले 9 दिनों तक चलती है। 

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जगन्नाथ मंदिर। (Photo Credit: PTI)

इस्कॉन क्या करता है?

इस्कॉन अपने स्तर पर अलग-अलग तारीखों पर स्नान यात्रा और रथ यात्रा निकालता है। 

विवाद की असली वजह क्या है?

जगन्नाथ पुरी मंदिर प्रशासन का कहना है कि इस्कॉन पिछले कई दशकों से मनमाने ढंग से स्नान यात्रा और रथ यात्रा आयोजित कर रहा है। 2025 में अब तक ISKCON ने भारत और विदेशों में कम से कम 40 मंदिरों में स्नान यात्रा और 68 मंदिरों में रथ यात्रा निकाली है। 

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ISKCON मंदिर।

पुरी के पूर्व राजा और मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष दिब्यसिंह देब:-
शास्त्रों में भगवान जगन्नाथ का स्पष्ट आदेश है कि स्नान यात्रा केवल ज्येष्ठ पूर्णिमा को और रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होनी चाहिए। मनमाने ढंग से इन यात्राओं का आयोजन शास्त्रों और परंपराओं का उल्लंघन है। भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन को केवल इन खास तिथियों पर ही गर्भगृह से बाहर लाया जाना चाहिए।


पुरी मंदिर प्रबंधन के तर्क क्या हैं? 

जगन्नाथ मंदिर प्रशासन का कहाना है कि जैसे होली, दीपावली, जन्माष्टमी जैसे त्योहार भी अपनी निर्धारित तिथियों पर ही मनाए जाते हैं, वैसे इस्कॉन क्यों निर्धारित तिथियों पर ही रथयात्रा नहीं निकालता है। बार-बार रथयात्रा निकलाने का क्या तुक है।

इस्कॉन के साथ पुरी प्रबंधन ने क्या बात की?

साल 2021 में इस्कॉन के मुंबई ब्यूरो ने भारत में रथ यात्रा को शास्त्रों के मुताबिक करने का प्रस्ताव पारित किया था। विदेश में आयोजनों के लिए इस्कॉन के मायापुर मुख्यालय को फैसला लेना था। 2 दिसंबर 2024 को पुरी में हुई बैठक में पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन ने इस्कॉन से परंपराओं का पालन करने को कहा। 20 मार्च 2025 को एक और बैठक में ISKCON ने विदेश में जलवायु और स्थानीय परिस्थितियों का हवाला देकर इसे खारिज कर दिया। जगन्नाथ प्रबंधन ने तर्कों के आधार पर 100 पेज का एक दस्तावेज तैयार किया है। दिब्यसिंह देब ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि ISKCON परंपराओं का सम्मान करेगा और यह मामला सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझ जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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