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जिस माला से जाप करते हैं उसे पहनते हैं या नहीं, जानें सभी नियम

जाप माला का उपयोग देवी-देवताओं के नाम स्मरण के लिए और मंत्र के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं, इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

Image of Japa Mala

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: AI Image)

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के समय तरह-तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें मंत्रों का जाप शामिल है। बता दें कि इनमें जप माला का उपयोग किया जाता है जिससे देवी-देवताओं के नामों का स्मरण, मंत्र जाप और ध्यान करना प्रमुख कार्य है। यह आध्यात्मिक साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन इसे पहनने को लेकर कई तरह की मान्यताएं और नियम होते हैं। साथ ही कुछ लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या है जप माला को पहन सकते हैं या नहीं। आइए आचार्य श्याम चंद्र मिश्र से जानते हैं, इस प्रश्न का उत्तर।

क्या जप माला पहना चाहिए या नहीं?

आचार्य मिश्र बताते हैं कि आमतौर पर जाप माला को गले या हाथ में पहनने की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि यह साधना और पूजन का विशेष उपकरण होता है। इसे पवित्रता और शुद्धता बनाए रखते हुए प्रयोग किया जाता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में साधु-संत और साधक इसे धारण कर सकते हैं लेकिन आमतौर पर इसे सुरक्षित स्थान पर रखने की परंपरा होती है। इसलिए गले या हाथ में धारण करने वाली माला जपमाला से अलग होनी चाहिए।

जाप माला के नियम और सही विधि

आचार्य मिश्र आगे बताते हैं कि जाप माला को हमेशा साफ और पवित्र स्थान पर रखना चाहिए। साथ ही अपनी जप माला को किसी अन्य व्यक्ति को छूने न दें, क्योंकि यह आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ माला को प्रयोग के बाद एक कपड़े या थैली में लपेटकर रखें।

 

जाप करते समय माला को सीधे हाथ में लेकर मध्यमा (मध्य) और अंगूठे के बीच घुमाना चाहिए। तर्जनी यानी इंडेक्स फिंगर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह अहंकार का प्रतीक मानी जाती है। साथ ही जाप करते समय सुमेरु (मुख्य गुरु मोती) को पार नहीं करना चाहिए। जब एक चक्र पूरा हो जाए, तो माला को पलटकर फिर से जाप शुरू करें।

जाप के समय ध्यान देने वाली बातें

जाप हमेशा एकांत और शांत स्थान पर करना चाहिए। ध्यान की स्थिति में बैठकर आंखें बंद कर, मंत्र का उच्चारण करें। एक ही गति और एकाग्रता के साथ जाप करें, इससे मन स्थिर होता है। माला से रोज कम से कम 108 बार मंत्र जाप करने की परंपरा होती है। किसी विशेष उद्देश्य से किए जा रहे जाप के लिए माला से निर्धारित संख्या में मंत्रों का उच्चारण करें। यदि किसी विशेष देवी-देवता का मंत्र जप रहे हैं, तो उसी प्रकार की माला का उपयोग करें, जैसे तुलसी माला विष्णु भक्ति के लिए, रुद्राक्ष शिव पूजन के लिए और चंद्रमुखी या स्फटिक माला देवी पूजन के लिए।

 

जाप के बाद माला को गले में डालना उचित नहीं माना जाता, इसे पूजा स्थान पर रखना चाहिए। इसके साथ माला को बिस्तर या जमीन पर न रखें, यह अपवित्र हो सकती है। भोजन करने, स्नान करने और शौचालय जाने से पहले माला को उतारकर सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए। माला को हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखें और नियमित रूप से साधना करें।

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