जून महीना जल्द ही शुरू होने जा रहा है और यह महीना धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाला है। बता दें कि जून महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे, जिनमें करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। इनमें प्रमुख हैं गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी और जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन होगा। ऐसे में आइए जानते हैं, जून महीने के व्रत-त्योहार और उनसे जुड़ी मान्यताएं।
जून 2025 में व्रत-त्यौहारों की सूची
- बृहस्पतिवार, 5 जून 2025: गंगा दशहरा
- शुक्रवार, 6 जून 2025: निर्जला एकादशी
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- रविवार, 8 जून 2025: प्रदोष व्रत (शुक्ल)
- बुधवार, 11 जून 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
- शनिवार, 14 जून 2025: संकष्टी चतुर्थी
- रविवार, 15 जून 2025: मिथुन संक्रांति
- शनिवार, 21 जून 2025: योगिनी एकादशी
- सोमवार, 23 जून 2025: मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत (कृष्ण)
- बुधवार, 25 जून 2025: आषाढ़ अमावस्या
- शुक्रवार, 27 जून 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा
गंगा दशहरा का महत्व (05 जून 2025)
गंगा दशहरा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र पर्व माना जाता है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है, जिससे सभी पापों का नाश होता है। श्रद्धालु इस दिन पूजा, दान और व्रत करते हैं। गंगा जल को अमृत तुल्य माना गया है और इसे शुद्धिकरण का प्रतीक समझा जाता है। इस दिन दस प्रकार के पापों का नाश करने की मान्यता भी है, इसीलिए इसे 'दशहरा' कहा गया।
निर्जला एकादशी का महत्व (06 जून 2025)
निर्जला एकादशी वर्ष की सबसे कठिन और पुण्यदायक एकादशी मानी जाती है। इसे भीम एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि महाभारत के भीमसेन ने इस व्रत को किया था। इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता, इसलिए इसे 'निर्जला' कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत खासकर मोक्ष की प्राप्ति, पापों के प्रायश्चित और आत्मिक शुद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन तुलसी, भगवान विष्णु और व्रत कथा का पूजन आवश्यक होता है।
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जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व (27 जून 2025)
जगन्नाथ रथ यात्रा ओडिशा के पुरी शहर में होने वाला भव्य उत्सव है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा विशाल रथों पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करते हैं। यह यात्रा आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होती है। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। भक्त अपने हाथों से रथ खींचते हैं, जिससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि रथ खींचने से जीवन के दुख दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे भक्ति, सेवा और भगवान से निकटता का प्रतीक माना जाता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।