प्रयागराज महाकुंभ में सेक्टर 16 में स्थित किन्नर अखाड़े का कैंप इस समय बहुत चर्चा में बना हुआ है। दिन से रात तक कैंप के बाहर दो लंबी कतारों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है। सबकी चाह है कि उन्हें महामंडलेश्वर अवंतिका नंद गिरी का आशीवार्द प्राप्त हो जाए और समृद्धि के लिए दांत से काटा एक सिक्का मिल जाए।
दरअसल, अखाड़ें में रोजाना 10 हजार से अधिक लोग आ रहे है। भक्तों को आस है कि उन्हें बस कैसे भी करके समृद्धि का सिक्का प्राप्त हो जाए। महामंडलेश्वर अवंतिका नंद गिरी का कहना है कि सभी भक्त सिक्का मांगते हैं। ऐसे में अक्सर सिक्के खत्म हो जाते हैं। ऐसे में सिक्कों की व्यवस्था करना मुश्किल हो जाता है।
किन्नरों को मिल रहा सम्मान और प्यार
जिन किन्नरों का पहले विरोध किया जाता था और समाज से दूर रखा जाता था। वहीं अब सबकुछ बदल गया है। अब लोग इनके आशीवार्द के लिए तरसते है। लोग सम्मान करते है और उन्हें जमकर प्यार भी दे रहे है। ऐसे में सवाल है कि भक्तों की अचानक से किन्नर अखाड़े की ओर दिलचस्पी कैसे बढ़ीं और आखिर ये समृद्धि का सिक्का है क्या जिसको लेकर लोग कैंप के बाहर लंबी कतारों में दिन-रात खड़े हो रहे है। आइये समझें:
किन्नर आखाड़े में भीड़ लगने और इतनी दिलचस्पी होने का मुख्य कारण उनकी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक भूमिका है। किन्नर आखाड़े, विशेष रूप से कुंभ मेले और अन्य धार्मिक आयोजनों में, भारतीय समाज में अद्वितीय स्थान रखते हैं। यहां जानिए आखिर क्यों किन्नर आखाड़े में इतनी भीड़ जुटती है:
आध्यात्मिक महत्व:
- किन्नर आखाड़ा भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का हिस्सा है। यह किन्नर समुदाय द्वारा धर्म और अध्यात्म के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त करने का स्थान है।
- लोग उनका आशीर्वाद लेने और उनकी पूजा-अर्चना में भाग लेने आते हैं, क्योंकि किन्नरों को 'शुभ' और 'देवी-देवताओं के प्रिय' माना जाता है।
जिज्ञासा और आकर्षण:
- किन्नर आखाड़ा नया है और समाज में इसे लेकर उत्सुकता है। लोग इसे देखने और उनके रीति-रिवाजों को समझने के लिए आते हैं।
- भीड़ बढ़ने का एक और मुख्य कारण यह है कि लोग किन्नर समुदाय के बार में अधिक जानना चाहते है और उनके अंदर अनूठे संस्कारों का हिस्सा बनने की जिज्ञासा भी है।
धार्मिक आयोजन:
- बड़े धार्मिक आयोजनों में किन्नर आखाड़ा अपनी उपस्थिति दर्ज करता है। उनकी शोभायात्राएं, साधना और धार्मिक गतिविधियां लोगों को आकर्षित करती हैं।
सामाजिक स्वीकृति का प्रतीक:
- यह आखाड़ा किन्नर समुदाय के लिए समाज में स्वीकृति और मान्यता का प्रतीक है। लोग उन्हें साथ देने और उनके साथ जुड़ने के लिए आते हैं।
मीडिया का प्रभाव:
- मीडिया और सोशल मीडिया पर किन्नर आखाड़े के बारे में खबरें और वीडियो वायरल होती हैं। इससे लोग उत्साहित होकर इसे देखने के लिए आते हैं।
यह भी पढ़ें: महाकुंभ के अलावा क्या घर पर कर सकते हैं कल्पवास? जानें नियम और महत्व
किन्नर अखाड़े में लोग 'समृद्धि का सिक्का' लेने क्यों पहुंच रहे?
किन्नर अखाड़े में लोग 'समृद्धि का सिक्का' लेने इसलिए पहुंच रहे हैं क्योंकि भारतीय परंपरा और मान्यताओं में किन्नरों को शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि किन्नरों का आशीर्वाद और उनसे मिली कोई वस्तु, जैसे 'समृद्धि का सिक्का' जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
'समृद्धि का सिक्का'
आशीर्वाद की शक्ति:
ऐसा माना जाता है कि किन्नरों का आशीर्वाद ईश्वर के आशीर्वाद के समान शक्तिशाली होता है। उनकी दुआएं नेगेटिव एनर्जी को दूर करती हैं और सकारात्मकता लाती हैं।
पौराणिक और धार्मिक मान्यता:
पौराणिक कथाओं में किन्नरों को भगवान शिव और विष्णु के प्रिय बताया गया है। लोग मानते हैं कि किन्नरों से प्राप्त सिक्का या आशीर्वाद उनके जीवन में सौभाग्य और समृद्धि लाता है।
शुभता और विश्वास:
किन्नरों से 'समृद्धि का सिक्का' लेना धन की वृद्धि और व्यापार में लाभ का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सिक्का घर या तिजोरी में रखने से आर्थिक स्थिरता आती है।
धार्मिक आयोजनों का हिस्सा:
किन्नर अखाड़ा बड़े धार्मिक आयोजनों और मेले में हिस्सा लेता है। इन आयोजनों में दिए जाने वाले सिक्के को भक्त अपने जीवन में शुभता और धार्मिक ऊर्जा का प्रतीक मानते हैं।
समाज में बढ़ती स्वीकृति:
किन्नरों के प्रति समाज में सम्मान और स्वीकृति बढ़ने के कारण लोग उनके रीति-रिवाजों में अधिक भाग लेने लगे हैं। समृद्धि का सिक्का लेना भी इसी का एक हिस्सा है।