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क्या है उस गोरक्षा यज्ञशाला की खासियत, जहां शंकराचार्य कर रहे यज्ञ?

महाकुंभ में गोप्रतिष्ठा को लेकर एक अनोखी यज्ञशाला बनी है। गाय को राष्ट्रमाता बनाने के लिए यहां शंकराचार्य यज्ञ कर रहे हैं।

Yagya Shala

गोरक्षा यज्ञशाला। (Photo Credit: Khabargaon)

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। अध्यात्म, संस्कृति और संस्कारों का महासमागम जिस नगरी में हो रहा है, उसकी अब अपनी पहचान है, महाकुंभ नगरी। इसी नगरी में देश के चारो मठों के शंकराचार्य पहुंच रहे हैं। संगम में गायों के कल्याण के लिए विश्व की सबसे बड़ी यज्ञशाला बनाई गई है। 

विश्व विश्व स्तर पर गो रक्षा संकल्प, गो प्रतिष्ठा हेतु बुधवार को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और संतों की उपस्थिति में गोप्रतिष्ठा यज्ञ का शुभारंभ हुआ। मेला क्षेत्र में सबसे बड़ी यज्ञशाला में एक महीने तक सवा तीन करोड़ आहुतियां डाली जाएंगी। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने 324 कुंडीय यज्ञ शुरू करते हुए उपस्थित संत-महात्माओं, भक्तों और श्रद्धालुओं को गाय की रक्षा, सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प दिलाया।


शंकराचार्य की गो यज्ञशाला में खास क्या है?

महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर 19 के दक्षिणी पट्टी में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शिविर में सबसे विशाल 324 कुंडीय यज्ञशाला बनाई गई है। गोमाता को राष्ट्र माता का दर्जा देने और गो हत्या पर प्रतिबंध लगाने के संकल्प के साथ इसका निर्माण हुआ है। यहां अब 5 जनवरी से 12 फरवरी तक यज्ञ में आहुतियां दी जाएंगी। इस यज्ञशाला का मध्य भाग नौ मंजिला है जबकि नौ दुर्गा को प्रतिपादित करते हुए चारों ओर नौ शिविर बनाए गए हैं। यज्ञ के दौरान पंचदेव - अति गणपति, अति सूर्य, अति विष्णु, अति रुद्र और अति गो माता का आह्वान होगा।

यज्ञशाला का भ्रमण करते स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती।



'कुंभ मेला क्षेत्र की सबसे बड़ी यज्ञशाला'
शंकराचार्य ने बताया कि यह यज्ञशाला कुम्भ मेला क्षेत्र की सबसे बड़ी यज्ञशाला है। हमारा संकल्प था कि महाकुम्भ के दौरान संगम की धरती से गो को राष्ट्रमाता के पद पर प्रतिष्ठित किए जाने के लिए यज्ञ किया जाए। इसलिए पूरी तरह से वैदिक पद्धति से बनी यज्ञशाला में गोप्रतिष्ठा यज्ञ का शुभारंभ किया गया है।

'प्रयागराज में ही हुआ था सृष्टि का पहला यज्ञ'

पुराणों में ऐसा जिक्र है कि सृष्टि की रचना के बाद भगवान ब्रह्मा ने प्रयाग में ही सृष्टि का पहला यज्ञ किया। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता स्वयं श्रीहरि विष्णु हैं। प्रयागराज में यज्ञ की बहुत प्राचीन परंपरा है। इस बार महाकुंभ में पहली बार गो प्रतिष्ठा को लेकर 324 कुंडीय यज्ञ शुरू हुआ है। प्रतिदिन 11 ब्राह्मणों के मंत्रोच्चारण साथ भक्तगण और श्रद्धालु सनातनी यज्ञ और आहुतियां डालने का पुण्य कार्य करेंगे।

एक महीने तक चलेगा गो रक्षा यज्ञ।


1 महीने तक लगातार चलेगा यज्ञ
 विशाल नौ मंजिला यज्ञशाला में प्रतिदिन सुबह 7:30 बजे से विधि विधान से पूजा व अनुष्ठान होंगे। शंकराचार्य के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगिराज के मुताबिक शंकराचार्य स्वामी की देखरेख में प्रतिदिन आठ घंटे एक माह तक यज्ञ अनवरत चलता रहेगा। महाकुंभ 2025 में एक माह तक चलने वाला गोप्रतिष्ठा यज्ञ धार्मिक आध्यात्मिक और सनातन संस्कृति से जुड़ा आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र होगा।

कुंभ में कश्मीर के लिए भी हो रहा है यज्ञ
महाकुंभ 2025 क्षेत्र में गोप्रतिष्ठा यज्ञ के साथ ही अन्य स्थान पर भी यज्ञशाला बनी है। नागवासुकि मंदिर के करीब तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य का शिविर बना है। यहां पाक अधिकृत कश्मीर - पीओके को मुक्त कराने के लिए विशाल यज्ञ हो रहा है। यह 13 फरवरी तक चलेगा। यज्ञ में 300 आचार्य आहुतियां देंगे। वहीं सोमेश्वर धाम नवचंडी के आश्रम में जनकल्याण की कामना को लेकर 111 कुंडीय अतिरुद्र महायज्ञ का आयोजन होगा। स्वामी महेशानंद गिरि की अगुवाई में 21 से 28 फरवरी तक 151 श्री आचार्य यज्ञ आहुति अर्पित करेंगें।

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