हिंदू धर्म में सभी तिथियों का अपना एक विशेष महत्व है। इन सबमें चतुर्थी, एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्हीं में से अमावस्या तिथि को पूजा-पाठ और तर्पण के लिए जाना जाता है। बात दें कि वर्तमान समय में मार्गशीर्ष महीना चल रहा है, इस माह के शुरू होने से 15 दिन बाद मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत का पालन किया जाता है।
धर्म-ग्रंथों में मार्गशीर्ष अमावस्या और इसके महत्व को विस्तार से बताया गया है। साथ ही इस अमावस्या व्रत को 'अगहन अमावस्या' या 'पितृ अमावस्या' के नाम से भी जाना जाता है। अगहन महीने के महत्व को गीता में स्वयं भगवान श्री कृष्ण बताते हैं कि ‘मासानां मार्गशीर्षोऽहम्’ अर्थात ‘महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं।’ ऐसे में मार्गशीर्ष महीने और अमावस्या व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। जानते हैं तिथि और महत्व-
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 2024
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 30 नवंबर सुबह 10:29 बन शुरू होगी और इसका समापन 01 दिसंबर सुबह 11:50 पर हो जाएगा। बता दें कि मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत का पालन 01 दिसंबर, रविवार के दिन किया जाएगा।
मार्गशीर्ष अमावस्या का क्या है महत्व?
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष महीना भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की उपासना के लिए समर्पित है। साथ ही इस माह में देवी लक्ष्मी की उपासना करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। मान्यता है इस मार्गशीर्ष अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहा जाता है, इसलिए इस विशेष दिन पर पितरों की उपासना करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ज्योतिष विद्वान यह बताते हैं कि इसके साथ जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें इस दोष के कारण आ रही समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
क्या है अगहन महीने का महत्व?
अगहन महीने को आध्यतमिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना भगन विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है और इस मास में गीत का पाठ करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, अगहन मास में गीता का पाठ और उसका मंथन जीवन के सत्य और धर्म का बोध कराता है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कर्मयोग, ज्ञानयोग, और भक्तियोग का मार्ग दिखाया है, जो मानव जीवन को संतुलन और शांति प्रदान करते हैं।