महाकुंभ मेला, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन कहा जाता है, आज यानी पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आरंभ हो गया है। इस मेले में भारत और दुनिया भर के लाखों श्रद्धालु भाग लेने के लिए उमड़ते हैं। यह मेला न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का जीता-जागता प्रतीक भी है।
रूसी नागरिक ने कहा ‘मेरा भारत महान’
रूस से आए एक भक्त ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा, 'हमने अपने जीवन में पहली बार कुंभ मेले में आने का निर्णय लिया और यहां आकर हम बहुत उत्साहित हैं। यहां आप असली भारत को देख सकते हैं और इसकी शक्ति इसके लोगों में बसी हुई है। इस पवित्र स्थान की ऊर्जा और वाइब्स से मैं बहुत खुश हूं। मैं भारत को दिल से प्यार करती हूं। मेरा भारत महान!'
सात साल से सनातन धर्म का पालन
यूरोप से आए एक अन्य भक्त, जैरेमी ने कहा कि उनके लिए यह अनुभव बहुत अद्भुत रहा है। उन्होंने 'गंगा माँ' और 'यमुना माँ' को देखने का जिक्र करते हुए बताया कि वे पिछले सात वर्षों से सनातन धर्म का पालन कर रहे हैं। धर्म के बारे में उन्होंने कहा, 'यह केवल आस्था पर आधारित नहीं है, बल्कि इसमें तर्क और ज्ञान का भी अद्भुत मिश्रण है। यह धर्म सुंदर है क्योंकि यह अंधविश्वास से परे है।'
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पहली बार भारत आने वाले जोनाथन ने अपने अनुभव को 'अद्भुत' बताया। उन्होंने कहा, 'यहां के लोग बहुत अच्छे हैं, और यहां का भोजन भी अद्भुत है। तीर्थस्थलों और मंदिरों को देखकर मैं बहुत प्रभावित हूं। हम शाही स्नान का अनुभव लेने की योजना बना रहे हैं। यह सब बहुत रोमांचक है।'
कुंभ मेले का महत्व
कुंभ मेले में हर श्रद्धालु का अनुभव अनोखा है, लेकिन हर किसी के शब्दों में भारतीय संस्कृति, आस्था और सामूहिकता की शक्ति की झलक मिलती है। यह मेला न केवल आध्यात्मिक साधना का अवसर है, बल्कि यह दुनिया के लिए भारत की सांस्कृतिक विविधता और उसकी धार्मिक परंपराओं को जानने का एक माध्यम भी है। प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि इस बार हो रहे कुंभ मेले में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना।